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अमित पंघल ने कहा- पदक जीतकर पुलवामा के शहीदों को श्रद्धांजलि देने को बेताब था

प्रतिष्ठित स्ट्रैंडजा मेमोरियल टूर्नामेंट में जीते गए स्वर्ण पदक को पुलवामा आतंकी हमले में शहीद सीआरपीएफ (CRPF) के जवानों को समर्पित करने वाले भारतीय मुक्केबाज अमित पंघल ने कहा कि सैन्य बलों से जुड़े होने के कारण उन्हें इस घटना से अधिक पीड़ा पहुंची थी.

एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता पंघल ने बुल्गारिया के सोफिया में मंगलवार की रात को फाइनल में कजाखस्तान के तेमिरतास जुसुपोव को हराकर यूरोप के इस सबसे पुराने मुक्केबाजी टूर्नामेंट में लगातार दूसरा स्वर्ण पदक जीता.

वह इस टूर्नामेंट में पदक जीतने वाले भारत के एकमात्र पुरुष मुक्केबाज रहे. भारतीय सेना के इस 23 साल के मुक्केबाज ने बुधवार को पीटीआई से कहा कि टूर्नामेंट के दौरान पुलवामा हमला उनके दिमाग में घूमता रहा. यह हमला पिछले हफ्ते उस दिन हुआ था, जिस दिन भारतीय मुक्केबाजी टीम टूर्नामेंट में भाग लेने के लिए रवाना हुई थी.

पंघल ने फोन पर कहा, ‘मैं खुद आर्मी से हूं, दर्द इसलिए थोड़ा ज्यादा था. मैं पदक जीतने के लिए बेताब था, क्योंकि मैं इसे पुलवामा में अपनी जान गंवाने वाले नायकों को समर्पित करना चाहता था.’ उन्होंने कहा, ‘यहां पहुंचने के बाद जब मुझे हमले की खबर मिली, तो तभी से यह बात मेरे दिमाग में थी.’

भारत ने सोफिया में तीन स्वर्ण, एक रजत और तीन कांस्य पदक सहित कुल सात पदक जीते. महिलाओं में स्वर्ण पदक जीतने वाली निखत जरीन (51 किग्रा) ने भी अपना पदक सीआरपीएफ जवानों को समर्पित किया. पंघल ने कहा, ‘मैं टूर्नामेंट के दौरान अपने परिवार वालों के संपर्क में था और उन्होंने मुझसे कहा कि मुझे पुलवामा शहीदों के सम्मान में पदक जीतना होगा. इस विचार से मैं दोगुना प्रेरित था.’

पंघाल ने इसके साथ ही साफ किया कि 49 किग्रा में यह उनका आखिरी टूर्नामेंट था. उन्होंने कहा, ‘मेरे पास 49 के बजाय 52 किग्रा में भाग लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, क्योंकि टोक्यो ओलंपिक 2020 में 49 किग्रा नहीं है और मैं ओलंपिक में खेलना चाहता हूं.’

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