अमेरिका ने भारत के साथ जेट इंजन तकनीक हस्तांतरण नीति में किया बदलाव
वाशिंगटन: अमेरिका ने विश्वसनीयता बढ़ाने का संकेत देते हुए भारत को गैस टर्बाइन इंजन तकनीक हस्तांतरण पर अपनी नीति को अपडेट किया है। इससे संवेदनशील जेट इंजन के हिस्सों के निर्माण एवं डिजाइन में सहयोग बढ़ाना संभव हो सकेगा। अमेरिका के रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर ने भारत के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की इस निर्णय से अवगत कराया। पर्रिकर इस समय अमेरिका दौरे पर हैं।
जेट इंजन के हिस्सों के निर्माण में बढ़ेगा सहयोग
कार्टर ने भरोसा दिखाया कि नीति में बदलाव के परिणामस्वरूप अमेरिका संवदेनशील जेट इंजन के हिस्सों के निर्माण एवं डिजाइन में सहयोग बढ़ाने में सक्षम होगा। पेंटागन में कल दोनों देशों के नेताओं की बैठक के बाद एक संयुक्त बयान में कहा गया कि कार्टर और पर्रिकर आशा करते हैं कि अपने भारतीय समकक्षों के साथ काम कर रहीं अमेरिकी कंपनियां हस्तांतरण अनुरोध भेजेंगी जिन्हें इस नीति से लाभ होगा।
डीटीटीआई को आगे बढ़ाने के तरीकों पर भी हुई बात
बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने महत्वाकांक्षी रक्षा प्रौद्योगिकी एवं व्यापार पहल (डीटीटीआई) को आगे बढाने के तरीकों और साधनों पर चर्चा की। संयुक्त बयान में कहा गया है कि डीटीटीआई में अब तक हुई प्रगति पर संतोष व्यक्त करते हुए दोनों ने डीटीटीआई के पर्वितनकारी मकसद को पूरा करने वाली उच्च प्रौद्योगिकी सामग्रियों के संभावित सह निर्माण और सह विकास के लिए अतिरिक्त परियोजनाओं को चिह्नित करने के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त की।