अमेरिका में लैपटॉप-टैब बैन, लेकिन फायदे में एयर इंडिया
इसके अलावा यहां से उड़ान भरने वाले यात्रियों को उतरने के बाद सुरक्षा जांच के लिए लंबी कतार में लगना पड़ते है और उनके सारे सामान की फिर से जांच की जाती है। अमेरिका की इस सुरक्षा व्यवस्था ने एयर इंडिया के लिए फायदे का काम किया है।
अमेरिका के इस बैन से मध्य पूर्वी फ्लाइट्स पर भी प्रभाव पड़ा है, यहां से उड़ान भरने वाले यात्रियों की संख्या में गिरावट देखने को मिल रहा है।
भारत और मध्य पूर्वी वाहकों के समझौते के अनुसार दोनों देश अपने देश से सीधे अमेरिका या दूसरी विदेशी जगह के उडा़न भर सकते हैं। इसके तहत अमीरात के जहाज सीधे दिल्ली-शिकागो के लिए उड़ान नहीं भरा जा सकता, इसके लिए दिल्ली-दुबई-शिकागो के लिए उड़ान भरनी पड़ेगी। इसी तरह एयर इंडिया दुबई-शिकागो के लिए उड़ान नहीं भर सकता। बल्कि इसके लिए उसे दुबई-दिल्ली/मुंबई-शिकागो के लिए उड़ान भरना होगा।
इसका मतलब ये है कि अगर किसी मध्य पूर्वी वाहक को अमेरिका के लिए सीधे उड़ान भरना है तो उसे केवल दुबई, दोहा, अबू धाबी जैसे अपने हवाई अड्डे से ही उड़ान भरना होगा। जहां से फ्लाइट में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर बैन है। चूंकि भारतीय हवाई अड्डे प्रतिबंध सूची पर नहीं हैं, इसलिए एयर इंडिया के यात्रियों को अपने केबिन बैग में लैपटॉप ले जा सकते हैं।
इस बैन के बाद मध्य पूर्व देश के यात्रियों ने भारत से फ्लाइट की बुकिंग करानी शुरू कर दी है। दुबई, कुवैत, मस्कट जैसे देशों से यात्री दिल्ली, मुंबई से फ्लाइट बुक रहा रहे है और यहीं से अमोरिका के लिए यात्रा कर रहे हैं। पिछले हफ्ते भारत से खाड़ी देशों के उड़ान भरने वाले यात्रियों की संख्या में 83 फीसदी की बढ़ोत्तरी देखने को मिली।
एयर इंडिया के एक अधिकारी ने बताया कि बैन की वजह से आने वाले हफ्तों में टिकट की बिक्री और ज्यादा बढ़ने के आसार हैं। उन्होंने आगे बताया कि 25 मार्च को हुए इस बैन के बाद एयर इंडिया के टिकट की बिक्री में 60 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है।