अमेरिका से मुँह मोड़ अब इस देश में बस रहे भारतीय, जानिए- क्या है वजह
डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका में भारतीयों को ही नहीं विश्व के अन्य नागरिकों को भी वीजा संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। एच-1बी वीजा में देरी या मनाही, ग्रीन कार्ड बैकलॉग या फिर पति/पत्नी को एच-1बी वीजा ना मिलना मुख्य समस्याएं हैं, जिनके चलते भारतीय स्थायी रूप से बसने के लिए अब कोई और ठिकाना तलाश रहे हैं। ऐसे ठिकानों में भारतीयों का पसंदीदा देश कनाडा बन रहा है। बताया जा रहा है कि 2017 की तुलना में 2018 में 51 पर्सेंट अधिक लोगों ने कनाडा में स्थायी निवास यानी परमानेंट रेजिडेंस हासिल किया है।
खबरों के मुताबिक, साल 2018 में 39,500 भारतीय नागरिकों ने एक्सप्रेस एंट्री स्कीम के तहत कनाडा में स्थायी निवास हासिल किया। हाल ही में जारी आंकड़ों के मुताबिक, 2018 में कनाडा में 92,000 से ज्यादा लोगों ने एक्सप्रेस एंट्री स्कीम के तहत स्थायी निवास हासिल किया। यह संख्या पिछले साल की तुलना में 41 पर्सेंट अधिक है। 2017 में कनाडा में इसी तरीके से 65,500 लोगों ने स्थायी निवास हासिल किया, जिसमें से 26,300 लोग सिर्फ भारत से थे। 2017 की तुलना में 51 पर्सेंट अधिक भारतीयों ने कनाडा की स्थायी निवास हासिल किया है।
बता दें कि अमेरिका ने पिछले दिनों भारत को अमेरिका ने वीजा पाबंदी के बारे में जानकारी दी थी। इसमें बताया गया था कि अब से कोटे के तहत सिर्फ 10-15 फीसदी भारत के लोगों को एच वन बी वीजा दिया जाएगा, जबकि अमेरिका हर साल 85000 लोगों को एच वन बी वीजा देता है। इसमें से 70 फीसदी वीजा भारत के लोगों को दिया जाता था। ऐसे में भारतीयों के लिए अमेरिका का मोह छोड़ किसी और देश में बसने का विकल्प ही बेहतर नजर आता है। इधर, हाल ही में कनाडा ने ग्लोबल टैलेंट स्ट्रीम (जीटीएस) को पाइलट स्कीम से बदलकर स्थायी स्कीम बना दिया है, इसके चलते कनाडाई कंपनियां सिर्फ दो हफ्ते में अप्रवासियों को कनाडा ला सकती हैं। ऐसे में भारतीय पेशेवरों के लिए कनाडा में विकल्प काफी खुलते नजर आ रहे हैं।
जानिए, क्या है एच-1बी वीजा
इस वीजा के जरिये अमेरिकी कंपनियों को उन क्षेत्रों में उच्च कुशल विदेशी पेशेवरों को नौकरी पर रखने की अनुमति मिलती है जिनमें अमेरिकी पेशेवरों की कमी है। डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से ही इस पर लगाम कसी जा रही है। हर साल कुल 85 हजार एच-1बी वीजा जारी किए जाते हैं। यह वीजा तीन साल के लिए जारी होता है और छह साल तक इसकी अवधि बढ़ाई जा सकती है।