पर्यटन

अमेरिकी इतिहास से परिचय कराता यह शहर है बेमिसाल

दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्क अमेरिका की यात्रा कई मायनों में काफी रोमांचक होती है। अमेरिका के फिलाडेल्फिया व सिएटल की यात्रा से लौट कर वहां के अपने अनुभव साझा कर रहे हैं नितिन प्रधा
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इस बार अमेरिका की यात्रा कुछ मायनों में अविस्मरणीय रही। इस यात्रा का रूट कुछ इस तरह तय हुआ कि हवा में ही पृथ्वी का चक्कर लगाने का मौका मिल गया। साथ ही, समय को पीछे छोड़ने का अनुभव भी इस यात्रा के जरिए हुआ। अमेरिका में हमारा पहला पड़ाव उसके वाशिंगटन राज्य का एक अहम शहर सिएटल था और अंतिम फिलाडेल्फिया, लेकिन दिल्ली से वहां तक पहुंचने के लिए बीच में हमें ऑस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन शहर होते हुए जाना था। ब्रिस्बेन में तीन दिन ठहरना अपने आप में अलग अनुभव था। इसका जिक्र किसी अन्य संस्मरण में करूंगा, लेकिन ब्रिस्बेन से अमेरिका के सिएटल शहर पहुंचने में समय को पछाड़ने का जो अनुभव रहा वह अपने आप में खास था। हमने ब्रिस्बेन से शनिवार दोपहर 11 बजे अमेरिका की यात्रा की शुरुआत की, लेकिन जब विमान अमेरिका के लॉस एंजेल्स शहर में उतरा तो वक्तथा सुबह के साढ़े छह बजे का और दिन फिर वही शनिवार, यानी हम 14 घंटे की यात्रा करने के बाद भी समय से साढ़े चार घंटे आगे थे। दरअसल, ऐसा होता इसलिए है कि जब हम ऑस्ट्रेलिया से अमेरिका की यात्रा करते हैं, तो हमें टाइम लाइन को पार करना होता है। यह टाइम लाइन ही हमें समय से पहले अपने गंतव्य पर पहुंचा देती है। यह तो हुई हवाई यात्रा की बात। आइए अब बात करते हैं अमेरिका की। हमारी इस यात्रा में हमें अमेरिका के पांच शहरों का अनुभव करना था। हालांकि सिएटल और फिलाडेल्फिया को छोड़कर अन्य शहरों में हमारा ठहराव काफी सीमित और कम समय के लिए ही था।

व्यावसायिक शहर सिएटल
सिएटल एक व्यावसायिक शहर है, जहां बोइंग जैसी बड़ी-बड़ी कंपनियों के मुख्यालय और उनकी फैक्ट्रियां हैं। माइक्रोसॉफ्ट और अमेजन जैसी कंपनियों के मुख्यालय भी इसी शहर में हैं। न्यूयॉर्क की तरह काफी हद तक सिएटल भी एक व्यस्त शहर है और इसकी ऊंची इमारतें इसकी भव्यता को बयां करती हैं। हालांकि पर्यटन के लिहाज से भी यहां काफी कुछ है। समुद्र से घिरे इस शहर में पहाड़ और वन के प्राकृतिक सौंदर्य की भरमार है। यहां दोपहर बाद बारिश जरूर होती है। हालांकि यह रिमझिम बरसात शहर की व्यस्तता को कतई प्रभावित नहीं करती। देखने को यहां काफी कुछ है। मसलन, सिएटल वाटर फ्रंट, जहां आप फेरी में सफर का आनंद उठा सकते हैं। सिएटल का आर्ट म्यूजियम भी अपने आप में खास है, जहां एशिया के कई देशों की कलात्मक कृतियों को देखा जा सकता है। बच्चों के लिए सिएटल एक्वेरियम एक आकर्षक जगह हो सकती है।

ऐतिहासिक शहर फिलाडेल्फिया
सिएटल के बाद हमारा सबसे ज्यादा समय बीता अमेरिका के पेंसिलवेनिया राज्य के सबसे बड़े शहर फिलाडेल्फिया में। दरअसल, अमेरिका में फिलाडेल्फिया ऐतिहासिक रूप से अहम शहर रहा है। इसके पास समृद्ध इतिहास है। इसी शहर में अमेरिका की आजादी की घोषणा हुई और उसके संविधान को स्वीकार किया गया। अब इसका अनुभव यहां की लिबर्टी बेल और इंडिपेंडेंस हॉल में लिया जा सकता है। यहां का फिलाडेल्फिया म्यूजियम ऑफ आर्ट और उसकी सीढ़ियों का भी अपना अलग महत्व है। यहां सिल्वेस्टर स्टालिन की फिल्म रॉकी की शूटिंग भी हुई थी। बड़े-बड़े शॉपिंग मॉल के अलावा, यहां की लंबी-चौड़ी सड़कें काफी आकर्षित करती हैं।
फिलाडेल्फिया पहुंच कर सबके लिए लिबर्टी बेल और हॉल ऑफ इंडिपेंडेंस जाना सबसे पहला लक्ष्य होता है। ब्रिटिश कॉलोनी के तौर पर उपनिवेशवाद की जकड़न से आजाद होने का ऐलान इसी शहर से हुआ। ब्रिटेन से आजादी के ऐलान के साथ 8 जुलाई, 1776 को इस घंटे को पहली बार बजाया गया। करीब 12 मीटर व्यास वाले इस विशाल घंटे का वजन 2080 पाउंड है और 70 प्रतिशत कॉपर और शेष अन्य धातुओं को मिलाकर बनाया गया था। आजादी के ऐलान के बाद जब ब्रिटिश सेनाओं ने फिलाडेल्फिया पर आक्रमण किया तो इसे शहर के एक चर्च में छिपा दिया गया। बाद में 1830 में इसे लिबर्टी बेल का नाम दिया गया।
लिबर्टी बेल के नजदीक मशहूर इंडिपेंडेंस हॉल में अमेरिका के संविधान पर गहन विचार-विमर्श हुआ और उसे अपनाया गया। इसी हाल में अमेरिका के संविधान को लेकर व्यापक बहस हुई, जिसमें अमेरिका के सभी प्रमुख राज्यों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। जिस मेज पर संविधान को स्वीकार करने संबंधी दस्तावेज पर सबने हस्ताक्षर किए, वह आज भी इस हॉल में मौजूद है। हालांकि उसका स्वरूप अब कुछ बदल दिया गया है। अब यहां एक कंप्यूटर स्क्रीन भी लगा दी गई है, जिसमें संविधान की प्रस्तावना का पृष्ठ खुलता है। आप चाहें, तो अमेरिका के संविधान को स्वीकार करने वाली इस प्रस्तावना पर हस्ताक्षर कर उसे खुद को मेल भी कर सकते हैं। यहां एक हॉल में उन सभी प्रतिनिधियों की आदमकद मूर्तियां मौजूद हैं, जिन्होंने अमेरिका के संविधान को बनाने की प्रक्रिया में हिस्सा लिया। दिलचस्प यह है कि ये सभी मूर्तियां विचार-विमर्श की विभिन्न मुद्राओं में हैं। सजीव-सी प्रतीत होने वाली इन मूर्तियों के साथ फोटो खिंचवाना पर्यटकों के लिए पसंदीदा अनुभव रहता है।

आजादी का प्रतीक
दुनिया के सबसे बड़े और शक्तिशाली देश का यह इतिहास इस बात का गवाह है कि उसे मौजूदा स्थिति में पहुंचने लिए कितना संघर्ष करना पड़ा। अमेरिका की स्वतंत्रता का सफर शुरू करने वाला फिलाडेल्फिया आज उसकी आजादी के प्रतीक शहर के तौर पर पहचाना जाता है। अगर अमेरिका का पश्चिम तट अपनी शान- ओ-शौकत और वैभव प्रदर्शन के लिए प्रसिद्ध है, तो पेंसिलवेनिया का यह शहर पूरे देश के राजनीतिक इतिहास के दर्शन कराता है। भारतीय पर्यटकों को तो यहां पहुंच कर अपना-सा इसलिए भी लगता है, क्योंकि दुनिया के दो महान लोकतंत्रों का राजनीतिक इतिहास एक-दूसरे से जुड़ा-सा लगता है। यहां आना वास्तव में एक दिलचस्प अनुभव रहा।

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