अन्तर्राष्ट्रीय
अमेरिकी सैनिक अब जल्द ही कर सकेंगे भारतीय सैन्य अड्डों का इस्तेमाल
पढ़ें भारत और अमेरिका के बीच हुए समझौते की दस खास बातें
- रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर और भारत के दौरे पर आए अमेरिका के रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर ने साफ किया कि समझौते पर आने वाले कुछ ‘हफ्ते’ या ‘महीने’ के अंदर दस्तखत हो जाएगा और इसका मतलब भारत की धरती पर अमेरिकी सैनिकों की तैनाती नहीं है।
- भारत और अमेरिका द्विपक्षीय रक्षा समझौते को मजबूती देते हुए अपने-अपने रक्षा विभागों और विदेश मंत्रालयों के अधिकारियों के बीच मैरीटाइम सिक्योरिटी डायलॉग स्थापित करने को राजी हुए हैं।
- दोनों देशों ने नौवहन की स्वतंत्रता और अंतरराष्ट्रीय स्तर के कानून की जरूरत पर जोर दिया है। दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती दखलअंदाजी को देखते हुए संभवत: ऐसा किया गया है।
- साउथ ब्लॉक में प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के बाद दोनों देशों ने पनडुब्बी से संबंधित मुद्दों को कवर करने के लिए नौसेना स्तर की वार्ता को मजबूत करने का निर्णय किया। दोनों देश निकट भविष्य में ‘व्हाईट शिपिंग’ समझौता कर समुद्री क्षेत्र में सहयोग को और बढ़ाएंगे।
- कार्टर ने कहा कि भारत और अमेरिका रक्षा वाणिज्य एवं प्रौद्योगिकी पहल के तहत दो नई परियोजनाओं पर सहमत हुए हैं। इसमें सामरिक जैविक अनुसंधान इकाई भी शामिल है।
- वहीं भारत-अमेरिका के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग पर पर्रिकर ने कहा, ‘चूंकि हमारे बीच सहयोग बढ़ रहा है, इसलिए इस तरह के समझौते को लागू करने के लिए हमें व्यवस्था बनानी होगी। इस परिप्रेक्ष्य में रक्षा मंत्री कार्टर और मैं आने वाले महीनों में लॉजिस्टिक एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (एलईएमओए) करने को सहमत हैं।’
- एलईएमओए साजो-सामान सहयोग समझौते का ही एक रूप है, जो अमेरिकी सेना और सहयोगी देशों के सशस्त्र बलों के बीच साजो सामान सहयोग, आपूर्ति और सेवाओं की सुविधाएं मुहैया कराता है। प्रस्तावित समझौते के बारे में पर्रिकर ने कहा कि मानवीय सहायता जैसे नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप के समय अगर उन्हें ईंधन या अन्य सहयोग की जरूरत होती है तो उन्हें ये सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी।
- कार्टर ने कहा, ‘अगर इस तरह की कोई स्थिति बनती है इससे सहयोग मिलेगा। साजो- सामान अभियान का बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह मामला दर मामला होगा।’ उन्होंने कहा कि समझौते से जुड़े ‘सभी मुद्दों’ का समाधान हो गया है।
- पहले भारत का मानना था कि साजो-सामान समझौते को अमेरिका के साथ सैन्य गठबंधन के तौर पर देखा जाएगा। बहरहाल एलएसए के साथ भारत हर मामले के आधार पर निर्णय करेगा। एलएसए तीन विवादास्पद समझौते का हिस्सा था, जो अमेरिका भारत के साथ लगभग एक दशक से हस्ताक्षर करने के लिए प्रयासरत था। दो अन्य समझौते हैं- संचार और सूचना सुरक्षा समझौता ज्ञापन तथा बेसिक एक्सचेंज एंड को-ऑपरेशन एग्रीमेंट।
- अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि साजो सामान समझौते से दोनों देशों की सेनाओं को बेहतर तरीके से समन्वय करने में सहयोग मिलेगा, जिसमें अभ्यास भी शामिल है और दोनों एक दूसरे को आसानी से ईंधन बेच सकेंगे या भारत को कल पुर्जे मुहैया कराए जा सकेंगे।