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अयोध्या विवाद को मध्यस्थता से सुलझाने की कोशिश, मार्च को महत्वपूर्ण आदेश जारी करेगा उच्चतम न्यायालय

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद को मध्यस्थता के जरिए सुलझाने के प्रयास के तहत पांच मार्च को एक आदेश जारी करेगा। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि वह आगामी पांच मार्च को आदेश जारी करेगा कि क्या यह विवाद अदालत से नियुक्त किसी मध्यस्थ के सुपुर्द किया जाए या नहीं। मध्यस्थता का मामला उस वक्त सामने आया जब संविधान पीठ के एक सदस्य न्यायमूर्ति एस. ए. बोबडे ने सभी पक्षों से पूछा कि क्या इस विवाद में मध्यस्थता की थोड़ी भी गुंजाइश बनती है। न्यायालय ने कहा, यदि संबंधित पक्षों के बीच मध्यस्थता की एक प्रतिशत गुंजाइश बची हो तो हम एक मौका और देना चाहेंगे। न्यायालय के इस प्रस्ताव पर हालांकि रामलला की ओर से पेश वकील सी. एस. वैद्यनाथन ने यह कहते हुए इसका विरोध किया कि ऐसे प्रयास पहले भी असफल रहे हैं। एक अन्य हिन्दू पक्षकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने मध्यस्थता का विरोध किया। एक मुस्लिम पक्षकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने, हालांकि मध्यस्थता की पेशकश पर कोई आपत्ति नहीं जताई। इस पर न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा, हम भूमि विवाद का निर्णय कर सकते हैं, लेकिन हम उससे अधिक पारस्परिक संबंधों को दुरुस्त करने के बारे में भी सोच रहे हैं। इसके बाद न्यायालय ने मध्यस्थता के मसले पर आदेश के लिए पांच मार्च की तारीख मुकर्रर की।

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