बोस्टन । व्यायाम एवं चिकित्सा की प्राचीनतम पद्धति योगा अब दुनिया भर में लोकप्रिय हो रही है। चिकित्सक भी इसे अपनाने के लिए कुछ विशेष प्रकार के मरीजों को सलाह देते हैं। शोध के मुताबिक एक सप्ताह में दो बार योग एवं गहरी सांस लेने की कक्षाओं में शामिल होने और घर पर इसका अभ्यास करने से अवसाद के लक्षणों में कमी आ सकती है। यह अध्ययन, अवसाद के औषधीय उपचार के विकल्प के तौर पर योग आधारित कार्यक्रमों के इस्तेमाल का समर्थन करता है। अध्ययन में बताया गया है कि अवसाद से निपटने के लिए योग औषधीय उपचार के विकल्प के तौर पर कारगर है। अमेरिका के बोस्टन विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ मेडिसिन के एसोसिएट प्रोफेसर, क्रिस स्ट्रीटर के मुताबिक, “यह अध्ययन योग के प्रयोग का समर्थन करता है और ऐसे अवसादग्रस्त लोगों की श्वसन क्रिया में सहायक होता है, जो अवसाद रोधी दवाओं का प्रयोग नहीं करते है। इसके अलावा योग ऐसे व्यक्तियों के लिए भी कारगर है, जो एक निश्चित मात्रा में अवसाद रोधी दवाओं का सेवन करते हैं, अथवा दवाओं के बाद भी जिनके अवसाद के लक्षणों में सुधार नहीं हो सका है।” शोधार्थियों के मुताबिक प्रमुख अवसादग्रस्त विकार सामान्य है और बार बार होने वाला पुराना और अशक्त बनाने वाला विकार है। अवसाद वैश्विक स्तर पर अन्य बीमारियों की तुलना में कई सालों से विकलांगता के लिए जिम्मेदार है। इसमें कहा गया है कि करीब 40 प्रतिशत लोग लंबे समय तक अवसाद रोधी दवाओं का सेवन करने के बावजूद भी पूरी तरह से ठीक नहीं हो सके हैं।