नई दिल्ली : अस्थम रोगियों के लिये हीट थेरेपी लाभकारी माना जा रहा है, जिसमें रेडियो फ्रिक्वेंसी हीट वेव का इस्तेमाल करके सांस की नली की दीवार को हल्का गर्म किया जाता है। खास बात यह है कि इस प्रक्रिया में मरीज को किसी भी तरह के दुष्प्रभाव से नहीं गुजरना पड़ेगा, यह उन मरीजों के लिए भी कारगर साबित होगी जो अस्थमा के साथ स्टेरॉयड की समस्या से भी जूझ रहे हैं। पश्चिमी देशों में इस तकनीक का इस्तेमाल कुछ साल पहले किया गया था और भारत में चेस्ट के कुछ फिजिशियन गंभीर अस्थमा की तकलीफ से गुजर रहे मरीजों पर अब इसका उपयोग कर रहे हैं। सर गंगा राम अस्पताल के सीनियर चेस्ट फिजिशियन डॉ. अरूप बसु ने कहा, ‘उसे एंटीबायोटिक्स के हैवी डोज दिए गए, हालांकि इसकी वजह से साइट इफेक्ट्स की भी खतरा हो सकता है। इसलिए हमने उनका इलाज ब्रॉनिकल थेरेमोप्लास्टी के जरिए करना शुरू किया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ब्रॉनिकल थेरेमोप्लास्टी के दौरान एक खास नली का इस्तेमाल हुआ, जिसे तीन अलग-अलग सप्ताह में तीन चरणों में सामान्य ब्रोन्कोस्कोपी के दौरान डाला गया। कुछ रोगियों को सिर्फ दो चरण में ही राहत मिल गई।