आईआईटी बॉम्बे में कैफे में नॉन-वेज बैन को लेकर विवाद
कुछ दिन पहले ही एक हॉस्टल में वेज और नॉन-वेज खाने की प्लेटें अलग किए जाने के फैसले को वापस लेने के बाद खाने को लेकर इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी, बॉम्बे एक बार फिर चर्चा में है। इस बार संस्थान में स्थित एक कैफे में नॉन-वेज खाना न सर्व करने को लेकर जारी किया गया एक सर्कुलर सामने आया है। हालांकि, संस्थान ने ऐसा कोई सर्कुलर जारी करने की बात से इनकार किया है।
सर्कल की ओर से कहा गया है कि संस्थान एक धड़े का खाना पूरे छात्र समुदाय पर थोपना चाहता है। उन्होंने इसके खिलाफ लड़ने की जरूरत बताई है। हालांकि, सर्कुलर जारी करने वाले प्रफेसर आशीष जुनेजा का कहना है कि सिविल केवल पैकेज्ड खाना ही सर्व करता है। ऐसे में नॉन-वेज खाना सर्व करना मुश्किल है। खाना सेंट्रल किचन से बनकर आता है जबकि सिविल में केवल चाय-कॉफी और केवल थोड़ा गरम करने वाला खाना ही सर्व किया जा सकता है। उनका कहना है कि अंडे या दूसरे नॉन-वेज खाने को सर्व करने से पहले तैयार करना होता है जिसके लिए इजाजत नहीं है।
वहीं, छात्र इस बात को मान नहीं रहे। उनका कहना है कि खाना हमेशा से सेंट्रल किचन में बनता रहा है तो अब नया क्या है। छात्रों ने यह भी कहा कि अगर यही वजह थी तो सर्कुलर में कुछ लोगों द्वारा आपत्ति होने की बात क्यों कही गई है। वहीं, संस्थान की प्रवक्ता का कहना है कि नॉन-वेज खाना सुबह मंगाया जाता है जबकि डॉक्टर भी इसे ताजा खाने की सलाह देते हैं। इसी के मद्देनजर यह कदम उठाया गया है। उन्होंने कहा कि सर्कुलर में जिस आपत्ति की बात कही गई है वह स्वास्थ्य के संबंध में ही है।
हालांकि, संस्थान के पीआरओ का कहना है कि नॉन-वेज खाने को सर्व न करने को लेकर कोई सर्कुलर जारी नहीं किया गया है। संस्थान की ओर से कहा गया है कि कैफे को बासी खाने की शिकायत मिलने पर स्वास्थ्य और सफाई को लेकर नोटिस दिया गया था।