उज्जैन: महाकाल की नगरी धार्मिक होने के साथ विज्ञान की नगरी भी कही जाती है, मान्यता है उज्जैन अनादि काल से कालगणना का केंद्र रहा है, यहां स्त्तिथ जीवाजी वेध शाला में पृथ्वी, सूर्य, चंद्रमा व काल चक्र को आसानी से समझा जा सकता है चुकी आज 21 जून साल का सबसे बड़ा दिन है जिसे लेकर देश भर के लोगो मे भी अलग ही उमंग है उस दिन 12:28 मिनट पर कर्क रेखा के आस पास वाले सभी स्थानों पर आम जन की परछाई गायब होती देखी गई, ऐसा पहली बार नहीं प्रत्येक वर्ष होता है, सूर्य आज उत्तराणायन से दक्षिणायन की और प्रवेश कर रहा है, जिससे दिन छोटे और रात बड़ी होने लगती है आज 13 घण्टे 34 मिनट का दिन तो रात 10 घण्टे 26 मिनत की रहैगी, साथ ही सूर्य की चरम क्रांति आज 23 डिग्री 26 मिनट व 15 सेकंड है।।
अधीक्षक जीवाजी वेध शाला उज्जैन श्री गुप्त ने अधीक जानकरी देते हुए बताया कि आज का दिन उत्तरी गोलार्द्ध के लिए काफी महत्वपूर्ण है, चूंकि पृथ्वी सूर्य के चारों और घुमती है तो 21 व 22 जून के अंतराल में सूर्य कर्क रेखा की और लंबत होता है सूर्य की चरम क्रांति आज 23 डिग्री 26 मिनट व 15 सेकंड है, इसी कारण कर्क रेखा के नजदीक जितने भी स्थान है वहां 12 बजे के आस पास परछाई गायब देखी जाती है प्रत्येक वर्ष, आज उज्जैन में ये दृश्य 12:28 पर देखा गया, सूर्य सुबह 5 बज कर 42 मिनट पर सूर्य उदय हुआ व 7 बज तक 16 मिनट पर सूर्य अस्त होना है इस प्रकार से 13 घण्टे 34 मिनट का दिन है व 10 घण्टे 26 मिनट की रात है, आज से सूर्य उत्तरायण से दक्षिणायन की और जाने लगेगा जिससे दिन छोटे और रात बड़ी होने लगेगी, 23 सितंबर से दौबारा दिन रात बराबर हो जाएंगे।।
आपको बता दें कि काल गणना के केंद्र उज्जैन को एक 21 जनवरी को नई सौगात मंत्री इंदर सिंह परमार व मोहन यादव ने नेतृत्व में दी गई थी, जहां जीवाजी वेधशाला में नक्षत्र वाटिका का शुभारंभ किया गया था, कहते है 300 साल पहले राजा सवाई जय सिंह ने 5 वेधशाला में से एक का उज्जैन में निर्माण करवाया था, मंत्रियों ने नक्षत्र वाटिका में 9ग्रह, 12राशि और 27 नक्षत्र के पौधे लगाए थे, जानकारों के अनुसार यह सब बच्चो बड़ो के ज्ञान को बढ़ाने के लिए है कि धरती पर किस तरह वनस्पति के माध्यम से हम ग्रहों को देख सकते है उनकी क्रियाओं को समझ सकते है उसके लिए किया गया था जो आज भी है।।