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आखिर क्यों दुनियाभर से लाखों ईसाई पहुंचते हैं यरुशलम?

यरुशलम दुनिया की एक ऐसी जगह है जो धार्मिक वजहों से ईसाई, यहूदी और मुस्लिम, तीनों के दिलों में जगह बनाती है. हालांकि, दुनिया के सबसे पुराने शहरों में शामिल यह जगह सालों से विवादों में रहा है. लेकिन क्रिसमस के मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं कि क्यों ईसाईयों के लिए यह शहर खास है?

इतिहास में यरुशलम शहर कई बार बर्बाद हुआ है और फिर से तैयार भी. कहते हैं कि यहां की मिट्टी की हर परत एक नई कहानी कहती है. शहर का दिल कहें तो पुराने हिस्से से जुड़ता है. ऐतिहासिक आर्किटेक्चर वाला पुराना शहर चार हिस्सों में है.

चारों हिस्से ईसाई, मुस्लिम, यहूदी और अर्मेनियन का प्रतिनिधित्व करते हैं. अर्मेनियन भी ईसाई हैं, इसलिए ईसाइयों के दो क्वार्टर हुए. अर्मेनियन का क्वार्टर सबसे छोटा है और यह दुनिया में अर्मेनियन का सबसे पुराना केंद्र भी है. अर्मेनियन ने सेंट जेम्स चर्च और मोनास्ट्री के भीतर आज भी अपने बेहद पुराने कल्चर और सिविलाइजेशन को संरक्षित करके रखा है.

ईसाईयों के क्वार्टर में मौजूद चर्च दुनियाभर के ईसाईयों के लिए धार्मिक धरोहर के रूप में देखा जाता है. यह उस जगह पर मौजूद है जिसका संबंध ईसा मसीह की जिंदगी, मृत्यु, सूली पर चढ़ाए जाने और मृतोत्थान से है.

ईसाईयों के विभिन्न मान्यताओं के मुताबिक, ईसा मसीह को इसी जगह पर सूली पर चढ़ाया गया था. यहां पर उनका टॉम्ब भी है. ग्रीक ऑर्थोडॉक्स पैट्रिआर्चेट, रोमन कैथोलिक चर्च सहित दुनियाभर की ईसाइयों की विभिन्न संस्थाएं यरुशलम के पौराणिक चर्च को मैनेज करती है. इसी वजह से दुनियाभर से लाखों सिख यहां ईसा मसीह के कब्र को देखने और आशीर्वाद हासिल करने के लिए आते हैं.

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