आखिरकार पीएमओ को देना ही पड़ा अधिवक्ता के शुभकामना संदेश का जवाब
मुरादाबाद : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दोबारा शपथ ग्रहण के बाद अमरोहा के एडवोकेट मनु शर्मा ने प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र प्रेषित कर शुभकामना संदेश भेजा था। पीएमओ से इसका जवाब न आने पर उन्होंने दो बार और बधाई पत्र भेजा। मगर उसका भी कोई जवाब न मिलने पर मनु ने आरटीआई के तहत पीएमओ से सात बिंदुओं पर सूचनाएं मांग ली। इसमें अपने द्वारा भेजे गए पत्रों के विवरण समेत शुभकामना संदेशों के जवाब देने के दायरे में आने वाले लोगों का ब्योरा भी मांगा। इस पर पीएमओ ने उनके तीनों पत्रों को संरक्षित किए जाने की सूचना दी है। मुहल्ला कोट निवासी मनु शर्मा ने नरेंद्र मोदी के दोबारा प्रधानमंत्री बनने पर नौ जुलाई 2019 को शुभकामना संदेश भेजा था। इसका कोई जवाब न मिलने पर उन्होंने 30 दिसंबर 2019 को दोबारा शुभकामना संदेश प्रेषित किया। इसका भी जवाब न आने पर मनु ने 24 अगस्त 2020 को तीसरा पत्र भेजा, लेकिन पीएमओ से इसका भी कोई जवाब नहीं आया। इससे नाराज मनु ने बीते आठ जून को सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र भेजकर सात बिंदुओं पर सूचना मांग ली। इसमें उन्होंने पूछा कि पीएमओ को आम नागरिकों की ओर से प्रतिमाह औसतन कितने पत्र मिलते हैं, उनके द्वारा भेजे गए तीनों शुभकामना संदेश वाले पत्राें का क्या किया गया और जवाब क्यों नहीं दिया गया। यह भी पूछा कि पीएमओ से क्या सिर्फ संगठन के पदाधिकारी, उद्योगपति व राजनेताओं के पत्रों के ही जवाब देने का प्रावधान है। उनके पत्र से पीएमओ में हलचल मच गई।
इसके बाद बीते 30 जून को केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी प्रवीन कुमार को पत्र भेजकर बताया गया कि उनके तीनों पत्रों को अग्रिम कार्रवाई के लिए संचिका में रख लिया गया है। साथ ही पत्रों के निस्तारण के विस्तृत ब्योरे की जानकारी को पीएमओ का लिंक देकर रजिस्ट्रेशन संख्या भी उपलब्ध करा दी है। मनु शर्मा का कहना है कि आरटीआई में उन्हें पीएमओ से अपने पत्रों के बारे में जानकारी तो मिल गई मगर आरटीआई के तहत पूछे गए सात सवालों के जवाब में महज एक का ही जवाब दिया गया है।