चीन का स्पेस स्टेशन बना आग का गोला, दक्षिणी प्रशांत क्षेत्र में गिरा
चीन का बंद पड़ा स्पेस स्टेशन ‘द तियांगोंग-1’ भारतीय समय के अनुसार सोमवार तड़के दक्षिण प्रशांत क्षेत्र में धरती के वायुमंडल में पहुंचते ही बिखर गया. 10 मीटर के डैने (विंगस्पैन) और आठ टन वजन वाले ‘द तियांगोंग-1’ को साल 2011 में अंतरिक्ष के बारे में अनुसंधान के लिए लॉन्च किया गया था. वायुमंडल में प्रवेश करने के दौरान यह स्पेस स्टेशन खगोलीय आग का गोला बन गया. चीन के अंतरिक्ष केंद्र का दावा है कि इससे कोई नुकसान नहीं हुआ है. चीन ने ‘द तियांगोंग-1’ के साथ अपना संपर्क खो दिया था और इस वजह से इसके गिरने पर उसका कोई नियंत्रण नहीं रह गया था.
जानकार ये भी आशंका जता रहे थे कि अंतरिक्ष स्टेशन किसी आबादी वाले इलाके के ऊपर भी गिर सकता है. चीन के मैन्ड स्पेस इंजीनियरिंग ऑफिस ने कहा है कि आठ टन का स्पेस स्टेशन करीब-करीब पूरी तरह से जल गया है. चीन पहले अनुमान लगाया था कि सि स्पेस लैब अटलांटिंक के ऊपर फिर से प्रवेश करेगा. 2017 से ही इसका चीन के कम्युनिकेशन राडार से संपर्क टूट गया था.
इससे पहले चीनी अंतरिक्ष केंद्र ने एक बयान में कहा था कि टियांगोंग-1 के अनियंत्रित ढंग से पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करने की संभावना है, जो यूरोपीयन स्पेस एजेंसी के अनुमानों के जैसा ही है. इससे पहले चीनी अधिकारियों ने कहा था कि आठ टन के इस क्राफ्ट के नीचे गिरने से किसी नुकसान की आशंका नहीं है.
क्या है द तियांगोंग-1
चीन ने साल 2001 में अंतरिक्ष में जहाज भेजना शुरू किया और परीक्षण के लिए जानवरों को इसमें भेजा. इसके बाद 2003 में चीनी वैज्ञानिक अंतरिक्ष पहुंचे. सोवियत संघ और अमरीका के बाद चीन ऐसा करने वाला तीसरा देश था. साल 2011 में द तियांगोंग-1 के साथ चीन का स्पेस स्टेशन कार्यक्रम की शुरुआत हुई. एक छोटा स्पेस स्टेशन वैज्ञानिकों को कुछ दिनों के लिए अंतरिक्ष ले जाने में सक्षम था.
इसके बाद 2012 में चीन की पहली महिला यात्री लियू यांग अंतरिक्ष गईं. इसने तय समय के दो साल बाद मार्च 2016 में काम करना बंद कर दिया था. साल 1979 में लगभग 80 टन वजन वाला स्काईलैब स्पेस स्टेशन भी कुछ हद तक अनियंत्रित तरीके से धरती पर गिरा था. उस वक्त ऑस्ट्रेलिया के कुछ इलाकों में इसके टुकड़े पाए गए थे लेकिन कोई हताहत नहीं हुआ था.