आज का पंचांग, आप का दिन मंगलमय हो, दिनांक -29 अक्टूबर, 2016, दिन- शनिवार
किसी शनिवार को किसी भी शुभ योग/शुभ चौघडिया में शाम के समय अपनी लंबाई के बराबर लाल रेशमी सूत नाप लें। फिर एक पत्ता बरगद का तोड़ें। उसे स्वच्छ जल से धोकर पोंछ लें। तब पत्ते पर अपनी कामना रूपी नापा हुआ लाल रेशमी सूत लपेट दें और पत्ते को बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। इस प्रयोग से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं, कामनाओं की पूर्ति होती है। इससे तुरंत ही आपका भाग्य चमकने लगेगा।
विक्रम संवत्– 2073
वार – शनिवार
संवत्सर – सौम्य
शक– 1938
आयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद
मास – अश्विन
पक्ष – कृष्ण
तिथि – चतुर्दशी
नक्षत्र – स्वाती
योग– विष्कम्भ
दिशाशूल- शनिवार को पूर्व दिशा और ईशानकोण का दिशाशूल होता है यदि यात्रा अत्यन्त आवश्यक हो तो तिल का सेवनकर प्रस्थान करें।
राहुकाल (अशुभ) – सुबह 09:22 बजे से 10:46 बजे तक।
सूर्योदय – प्रातः 06:30।
सूर्यास्त – सायं 05:50।
पर्व- नरक चतुर्दशी के दिन अभ्यंग स्नान
पाँच दिन का दीवाली उत्सव धनत्रयोदशी के दिन प्रारम्भ होता है और भाई दूज तक चलता है। दीवाली के दौरान अभ्यंग स्नान को चतुर्दशी, अमावस्या और प्रतिपदा के दिन करने की सलाह दी गई है।
चतुर्दशी के दिन अभ्यंग स्नान बहुत ही महत्वपूर्ण होता है जिसे नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। यह माना जाता है कि जो भी इस दिन स्नान करता है वह नरक जाने से बच सकता है। अभ्यंग स्नान के दौरान उबटन के लिए तिल के तेल का उपयोग किया जाता है।
अंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन अभ्यंग स्नान लक्ष्मी पूजा से एक दिन पहले या उसी दिन हो सकता है। जब सूर्योदय से पहले चतुर्दशी तिथि और सूर्योदय के बाद अमावस्या तिथि प्रचलित हो तब नरक चतुर्दशी और लक्ष्मी पूजा एक ही दिन हो जाते हैं। अभ्यंग स्नान चतुर्दशी तिथि के प्रचलित रहते हुए हमेशा चन्द्रोदय के दौरान (लेकिन सूर्योदय से पहले) किया जाता है।
अभ्यंग स्नान के लिए मुहूर्त का समय चतुर्दशी तिथि के प्रचलित रहते हुए चन्द्रोदय और सूर्योदय के मध्य का होता है। हम अभ्यंग स्नान का मुहूर्त ठीक हिन्दु पुराणों में निर्धारित समय के अनुसार ही उपलब्ध कराते हैं। सभी तथ्यों को ध्यान में रखकर हम अभ्यंग स्नान के लिए सबसे उपयुक्त दिन और समय उपलब्ध कराते हैं।
नरक चतुर्दशी के दिन को छोटी दीवाली, रूप चतुर्दशी, और रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है।
अक्सर नरक चतुर्दशी और काली चौदस को एक ही त्योहार माना जाता है। वास्तविकता में यह दोनों अलग-अलग त्यौहार है और एक ही तिथि को मनाये जाते हैं। यह दोनों त्यौहार अलग-अलग दिन भी हो सकते हैं और यह चतुर्दशी तिथि के प्रारम्भ और समाप्त होने के समय पर निर्भर होता है।