आजम ने आमिर से कहा, दुआ है विरोध से कमजोर ना हो इरादे
आजम ने मंगलवार को लिखे पत्र में उनकी हौसला आफजाई की है, उन्हें मुल्क के बंटवारे से जुड़े इतिहास की जानकारी दी है। उन्होंने आमिर से कहा है, जब आप और आपकी पत्नी जैसे लोग इस सच को महसूस कर सके हैं, तो फिर उन कमजोर, लाचार और बेसहारा लोगों के बारे में यकीनन सोचने की हमारी जिम्मेदारी है जिनके लिए आए दिन अनुचित शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने इंतेहा तब होती है जब दस्तूरी कुर्सियों पर बैठे हुए लोग वह कहते हैं, जिससे दिल टूटते हैं।
मुल्क के बंटवारे के समय थे दो नजरिये
आजम ने कहा है कि मुल्क के बंटवारे के वक्त दो नजरिये सामने आए थे। एक मजहब के नाम हिंदुस्तान से अलग हुआ टुकड़ा जिसे पाकिस्तान कहा गया और दूसरा अजीम हिंदुस्तान जिसकी आजादी की लड़ाई के लिए मुल्क के लोगों ने कुर्बानियां दीं।
उन्होंने फिल्म अभिनेता को निमंत्रण दिया है कि वे अपनी सलाहियत को अपने फन के साथ-साथ अनपढ़ और मजबूरों की तालीम देने की तरफ भी लगाएं। उन्होंने खत में मशहूर शायर नवाज देवबंदी के ये शेर लिखे हैं।
मंजिल पे न पहुंचे उसे रस्ता नहीं कहते ।
दो चार कदम चलने को चलना नहीं कहते।।
एक हम हैं कि गैरों को भी कह देते हैं अपना।
एक वो हैं कि अपनों को भी अपना नहीं कहते।।
माना कि मियां हम तो बुरों से भी बुरे हैं।
कुछ लोग तो अच्छों को भी अच्छा नहीं कहते।।
उन्होंने मशहूर कवि और शायर प्रोफेसर उदय सिंह साहब का एक शेर भी उन्हें भेजा है-
न तेरा है, न मेरा है,
यह हिंदुस्तान सबका है।
नहीं समझी गयी यह बात,
तो नुकसान सबका है।