आतंकवाद के मामले में 4 साल से जेल में बंद था हबीब, सबूत न मिलने पर हुआ बरी
त्रिपुरा में रहने वाले एक मैकेनिक पर साल 2005 में बेंगलुरु में हुई एक शूटिंग की घटना में कथित रूप से शामिल होने का आरोप लगा था। 2017 में उसे गिरफ्तार कर लिया गया था। अब जेल में चार साल बीत जाने के बाद, कोई सबूत न मिलने पर उन्हें बरी कर दिया गया। 36 साल का मोहम्मद हबीब चारों सालों तक बिना किसी गुनाह के जेल में रहे। हबीब पर लगे आरोपों की बात सनुकर उनके पिता की भी मौत हो गई। अब उन्हें बेंगलुरु की केंद्रीय जेल से रिहा कर दिया गया है। बिना फीस के हबीबी का केस लड़ने वाले वकील ताहिर आमिर कहते हैं कि एक व्यक्ति के इकबालिया बयान के आधार पर ही उन्हें गिरफ्तार किया गया था।
त्रिपुरा के मूल निवासी 36 वर्षीय मोहम्मद हबीब 14 जून को विशेष एनआईए अदालत ने बरी कर दिया। हबीब को 2017 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने दिसंबर 2005 की शूटिंग की घटना के सिलसिले में गिरफ्तार किया था, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और कुछ अन्य घायल हो गए थे। कर्नाटक पुलिस ने कहा था कि हमला पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा ने किया था और बाद में हबीब को गिरफ्तार कर लिया, उसकी पहचान “आतंकवादी हमले के साजिशकर्ता” के रूप में की गई थी।
बेंगलुरू की केंद्रीय जेल से रिहा होने के बाद, हबीब ने कहा, “मेरे ऊपर लगे आरोपों को सनकर मेरे पिता की मौत हो गई थी। मुझे चार साल तक बिना किसी मुकदमे के जेल में रखा गया था और अब उन्हें कोई सबूत नहीं मिला तो उन्होंने मुझे छोड़ दिया। मैं पहले कभी बेंगलुरु नहीं आया था।” बिना फीस लिए हबीब का केस लड़ने वाले वकील ताहिर आमिर ने कहा, “वह अकेले नहीं हैं जिन्हें कई सालों तक बिना मुकदमे के सलाखों के पीछे रखा गया। अभी भी बेंगलुरु में राज्य भाजपा मुख्यालय के बाहर 2013 के विस्फोट मामले में 27 आरोपी बिना किसी मुकदमे के जेल में बंद हैं।”
पुलिस ने दावा किया था कि त्रिपुरा के अगरतला के जोगेंद्र नगर के रहने वाले हबीब 2005 के गोलीबारी मामले के मुख्य आरोपी को अवैध रूप से बांग्लादेश ले गए थे उन्होंने कहा कि वह बेंगलुरु में आतंकी गतिविधियों में भी शामिल था। वकील ताहिर आमिर ने कहा, “पेशे से गैरेज मैकेनिक हबीब को सलाउद्दीन नाम के एक व्यक्ति के इकबालिया बयान के आधार पर गिरफ्तार किया गया था, जिसे साल 2008, दिसंबर 2017 में लखनऊ पुलिस ने गिरफ्तार किया था।”
हबीब पर कड़े गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम, विस्फोटक अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए थे। हालांकि, एक विशेष राष्ट्रीय जांच एजेंसी अदालत अभियोजन पक्ष से असहमत थी। अदालत ने हबीब की इस दलील से सहमति जताई कि “पुलिस ने आरोपी के बारे में चार्जशीट में कुछ भी नहीं कहा है और न ही कोई सबूत एकत्र किया है जो यह दर्शाता है कि आरोपी को किसी भी समय इस मामले में शामिल घटना या अपराध का कोई ज्ञान है।” न्यायाधीश ने कहा, ” उपलब्ध के सामग्री के आधार पर, मेरा विचार है कि आरोपी के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त आधार नहीं हैं।”