नई दिल्ली: यह देश के उच्च शिक्षा संस्थानों की जिम्मेदारी है कि आने वाली चुनौतियों को अभी से पहचानें और अपने छात्रों को उद्योग 4.0 के लिए तैयार करें। इससे ही हमारे छात्र भविष्य का सामना कर सकेंगे। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने मंगलवार को मानव संसाधन विकास मंत्रालय एवं उद्योग संगठन फिक्की की ओर से आयोजित 14वें उच्च शिक्षा सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह बात कही। भविष्य के विश्वविद्यालय विषय आयोजित इस सम्मेलन में प्रभु ने कहा कि हमें नई चीजें सीखने के साथ पुरानी बातें भूलने की भी आदत डालनी चाहिए। हमें अपने दिमाग को हमेशा खुला रखना चाहिए और हमेशा सीखते रहना चाहिए। तकनीकी के तेजी से बदलते इस दौर में यह समय की मांग बन चुका है। इसके सभी स्टेकहोल्डर को साथ मिलकर काम करना होगा, क्योंकि शिक्षा को सिर्फ विश्वविद्यालयों में ही डिजाइन नहीं किया जा सकता। प्रभु ने यह भी कहा कि शिक्षण संस्थानों को कृत्रिम मेधा, रोबोटिक्स और बिग डेटा जैसी उभरती चुनौतियों को दिमाग में रखना चाहिए और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी पेश करनी चाहिए। वहीं, उच्च शिक्षा सचिव आर सुब्रमण्यम ने कहा कि गुणवत्ता, शोध, रोजगार काबिलियत और संस्थानों का अंतरराष्ट्रीयकरण जैसे मुद्दों पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए शोध महत्वपूर्ण है और इसके लिये निवेश और कोष आकर्षित करने की जरूरत है।
स्टडी इन इंडिया पैवेलियन तैयार
तीन दिन तक चलने वाले इस सम्मेलन में 26 देशों के उच्च शिक्षा संस्थान हिस्सा ले रहे हैं। पहली बार इसमें स्टडी इन इंडिया पैवेलियन भी बनाया गया है, जहां में शिक्षा की संभावनाओं के संबंध में जानकारी दी जा रही है।