नयी दिल्ली : सरकार ने सोलर पार्क से जुड़े नियमों में बदलाव किए हैं, इसके बाद कोई भी व्यक्ति अपनी जमीन पर मेगा सौर ऊर्जा परियोजना विकसित कर सकता है। इस नीति में संशोधन के तहत नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने निजी परियोजना डेवलपर को प्रति मेगावॉट 12 लाख रुपये तक सब्सिडी देने की भी व्यवस्था की है। मंत्रालय ने राज्य सरकार द्वारा विकसित हो रहे सोलर पार्कों के लिए 10 से 25 लाख रुपये सब्सिडी देने की भी पेशकश की है। हालांकि परियोजना लगाने के लिए व्यक्ति के पास अपनी जमीन होनी चाहिए। जिन उद्यमियों के पास जमीन है, उनके चयन के लिए एक रिवर्स बिडिंग होगी। इसके तहत उद्यमियों को जमीन विकसित करने के लिए प्रति मेगावाट खर्च और शुल्क बताना होगा। राज्य सरकार या किसी सरकार एजेंसी द्वारा जमीन मुहैया कराए जाने की स्थिति में बोलीदाता का चयन जमीन की न्यूनतम शुद्ध मौजूदा मूल्य और परिचालन शुल्कों के आधार पर होगा। परियोजना पूरी करने की समय सीमा 18 महीने होगी। सोलर पार्क का न्यूनतम आकार 100 मेगावॉट होगा। पहाड़ी क्षेत्रों के लिए यह आकार 50 मेगावाट होगा। न्यूतनम परियोजना आकार की शर्त पूरी करने पर ही सब्सिडी उपलब्ध होगी। सोलर पार्क से उत्पन्न बिजली डेवलपर किसी भी राज्य को बेच सकते हैं या इसके लिए कारोबारी तंत्र का इस्तेमाल कर सकते हैं। सरकार का यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब आईएलऐंडएफएस एनर्जी ने भारत में 20 सोलर पार्क विकसित करने के लिए सॉफ्ट बैंक की सहायक इकाई एसबी एनर्जी के साथ समझौता किया है। सौर ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है। देश में निजी स्तर पर काफी जमीन उपलब्ध हैं, जिनका इस्तेमाल किया जा सकता है। अधिकारियों ने कहा कि इससे भारत को 2022 तक 100 गीगावॉट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य हासिल करने में भी मदद मिलेगी। 100 गीगावॉट लक्ष्य के लिए केंद्र ने कुल 21,194 मेगावॉट क्षमता वाले 38 सोलर पार्क चिह्निïत किए हैं। केंद्र ने सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एसईसीआई) के माध्यम से और राज्यों ने इससे आधे से कम पार्क आवंटित किए गए हैं। नियमों में संशोधन के बाद कोई भी सार्वजनिक उपक्रम अपनी जमीन पर सोलर पार्क लगा सकता है। सार्वजनिक उपक्रम निजी डेवलपर को जमीन बेच या पट्टे पर दे सकते हैं। वे सोलर पार्क लगाने का काम किसी तीसरे पक्ष को भी दे सकते हैं।