आम आदमी के हीरो रहे अमोल पालेकर
आम तौर पर हिंदी फिल्मों में हीरो की जो छवि होती है अमोल पालेकर उससे एकदम अलग रहे। आम आदमी की तरह नजर आने वाले अमोल की यही खूबी लोगों को भा गयी और उनका सफर बढ़ता चला गया। आप और हम उन्हें एक्टर और डायरेक्टर के तौर पर जानते हैं। उनकी फिल्मों की याद आज भी जेहन में गुदगुदी सी करते हुए आती है। उनके डायरेक्शन में बने टीवी शो आज भी बेहतरीन हैं।. पिछले 45 साल से सबका चहेता रहा ये अभिनेता और डायरेक्टर अब पेंटर बन गया है। अमोल 72 साल के हो गए हैं। उनके जन्मदिन पर जब उनकी जिंदगी की गलियों से गुजरने की कोशिश होती है, तो सामने आता है एक मनमौजी इंसान. जिसने जब चाहा, जो चाहा, वो किया और जब नहीं चाहा, तो उस काम को छोड़ने में भी वक्त नहीं लगाया।
पेंटिंग के लिए नौकरी
अमोल को पेंटिंग का शौक बचपन से था, लेकिन ये एक महंगा शौक था। एक पेंटिंग बनाने के लिए उन्हें कलर और कैनवास खरीदने होते थे। इसके लिए उन्होंने बैंक में क्लर्क की नौकरी शुरू की। वह नौकरी से कमाए पैसे पेंटिंग में लगाते और अपनी दुनिया में दुनिया के सबसे खुशनसीब इंसान की तरह रहते।
खाली वक्त में थियेटर
एक बार रंगमंच के मशहूर निर्देशक सत्यदेव दूबे की नजर उन पर पड़ी। दूबे ने उन्हें एक नाटक में काम करने का प्रस्ताव दिया। खाली वक्त का अच्छा इस्तेमाल करने के लिए अमोल नाटक में काम करने को राजी हो गए। अमोल ने कहा था कि दूबे ने ही उन्हें एक्टिंग की एबीसीडी सिखाई। इसके बाद उन्हें फिल्मों में बासु चटर्जी, श्याम बेनेगल, तपन सिन्हा और सत्यजीत रे के साथ काम करने का मौका मिला। उन्होंने रजनीगंधा, छोटी सी बात, घरौंदा, सफेद झूठ, गोल माल, बातों बातों में जैसी यादगार फिल्में कीं।
सुपरमैन नहीं, आम आदमी
अभिनय के साथ-साथ अमोल ने डायरेक्शन में भी अच्छी-खासी सफलता हासिल की। उन्होंने कच्ची धूप, मृगनयनी, नकाब और कृष्ण कली जैसे टीवी शो डायरेक्ट किए। इन टीवी शोज के पीछे थी हिंदी लिटरेचर की क्लासिक कहानियां. लेकिन जब सवाल अमोल की एक्टिंग का उठता है, तो उनकी सबसे खास बात थी उनकी आम इंसान की छवि।
उन्होंने खुद पनी सफलता का ये राज खोला था। उन्होंने कहा था, मेरी सफलता का राज यही था कि मैं सुपरमैन नहीं था। मैं एक आम आदमी था, जो एक्टर बनने के बाद भी ट्रेन से सफर करता था। घर का सामान लाता था। उस समय फिल्मों में ऐसा हीरो दिखना अनोखी बात थी।’ आम आदमी से जुड़ा उनका एक दिलचस्प किस्सा ये भी कि उन्होंने अपनी क्लर्क की नौकरी तब छोड़ी, जब उनकी फिल्में हिट होने लगीं।