नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने एनपीए यानी फंसे कर्ज के मामले में बैंकों को थोड़ी ढील दे दी है। अब बैंक चौथी तिमाही के आंकड़ों में कुछ कंपनियों के स्ट्रेस्ड लोन को प्रॉविजनिंग के दायरे से बाहर रख सकते हैं।
आरबीआई की ओर से यह इजाजत मिलने की वजह से बैंकों के लिए एनपीए की खातिर रकम का प्रॉविजन करने का बोझ कम होगा। नतीजतन बैंकों के प्रदर्शन में सुधार दिखेगा।
आरबीआई ने उन दो दर्जन कंपनियों को प्रॉविजनिंग के दायरे से बाहर किया है, जो अपनी संपत्तियां या सहयोगी फर्में बेचकर कर्ज चुकाने की कोशिश में जुटी हुई हैं। इन कंपनियों में जेपी एसोसिएट्स भी शामिल है।
दिसंबर में समाप्त तीसरी तिमाही फंसे कर्जों के लिए भारी राशि का प्रावधान करने की वजह से ही सरकारी बैंकों ने अपने वित्तीय नतीजों में या तो घाटा या फिर मुनाफे में भारी कमी दिखाई थी। सरकारी बैंकों का कुल एनपीए चार लाख करोड़ रुपये के करीब पहुंच गया है।
निजी बैंकों के विलय संबंधी निर्देश
आरबीआई ने गुरुवार को निजी क्षेत्र के बैंकों के बीच विलय को लेकर दिशानिर्देश जारी दिए। इन दिशानिर्देशों के दायरे में बैंकों और एनबीएफसी (गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों) के बीच विलय भी आएगा। किसी भी मामले में स्वैच्छिक विलय केंद्रीय बैंक की मंजूरी के बाद ही प्रभावी होगा। इससे पहले दोनों बैंकिंग कंपनियों के शेयरधारकों की अनुमति लेनी होगी। प्राइवेट बैंकों के शेयरों को जारी करने और उनकी कीमत निर्धारण के लिए भी स्पष्ट दिशानिर्देश तय किए गए हैं।
धोखाधड़ी के प्रति करें सचेत
सभी बैंक ईमेल और फोन कॉल से लुभावनी पेशकश के जरिये धोखाधड़ी करने वालों को लेकर आम जनता को सचेत करें। इसके लिए बैंक के अंदर नोटिस बोर्ड पर ऐसे ऑफर से सतर्क रहने की चेतावनी चस्पा करें। ईमेल और फोन कॉल के जरिये बढ़ते फ्रॉड से चिंतित आरबीआई ने बैंकों को ये निर्देश दिए हैं।