आर्थिक रूप से सम्पन्न हैं गांव वाले, फिर भी रहते हैं कच्चे मकानों में
जयपुर : राजस्थान के अजमेर जिले में बसा देवमाली गांव गुर्जर जाति के आराध्य देवनारायण भगवान के तीर्थ स्थल के रूप जाना जाता है। इस गांव के बारे में कुछ रोचक बाते हैं जिन्हें कम लोग ही जानते हैं। देवमाली गांव आज भी किसी मध्ययुगीन गांव जैसा ही दिखता है। इस गांव के लोग आर्थिक रूप से सक्षम होते हुए भी अभी तक कच्चे घरों में ही रहते हैं तथा कोई भी लोहे और सीमेंट इत्यादि से बना पक्का मकान यहां नहीं है। इसकी वजह गांव वालों के पास पैसों की कमी नहीं, बल्कि एक मान्यता है। गांव वाले मानते हैं कि यदि गांव में एक भी पक्का घर बना तो कोई बड़ी आपदा आ सकती है। इस गांव के लोग कभी भी नीम की लकडिय़ां व केरोसिन नहीं जलाते, इसके चलते अब भी यहां हर घर की रसोई में मिट्टी के चूल्हे का ही इस्तेमाल होता है। गांव के अधिकतर घरों में बिजली कनेक्शन तो हैं, पर किसी भी घर में एसी और कूलर का उपयोग नहीं होता है। देवमाली गांव की इस अजीब मान्यता को लेकर गांव वालों ने बताया कि कुछ लोगों ने यहां पक्के मकान बनाने की कोशिश की थी, लेकिन एक सप्ताह के भीतर ही उनके मकान ढह गए। गांव के कुछ लोगों ने आसपास के गांवों में अपने पक्के मकान बना लिए हैं, लेकिन देवमाली गांव में अब भी उनके कच्चे घर ही हैं। यहां पर कभी भी शादी-विवाह में दूल्हे को घोड़ी पर नहीं बिठाया जाता है। यही नहीं इस गांव में बने श्री देवनारायण जी मंदिर (देवरा) में अलग से कोई पुजारी भी नियुक्त नहीं किया जाता। इस गांव में पैदा हुआ गुर्जर जाति का व्यक्ति भोपा (पुजारी) कहलाता है। इस गांव में गुर्जर जाति की लावड़ा गोत्र के अतिरिक्त अन्य कोई भी जाति निवास नहीं करती। इस गांव में बसे लोग केवल एक पिता की संतान माने जाते हैं, इनका एक पूर्वज यहां आया था और उसी ने यह पूरा गांव बसाया। आधुनिक दौर में भी देवमाली गांव के ज्यादातर लोग किसान हैं, लेकिन किसी के नाम एक इंच भी जमीन नहीं है। इस गांव में बसे 80 परिवारों में से कोई भी अंडा, मांस और शराब का सेवन नहीं करता है। यहां के लोग आज भी पुरानी परम्परा का ही पालन कर रहे हैं और इसीलिए गांव में एक भी पक्का मकान नहीं है। सबसे खास बात यह है कि इस गांव में कोई अपने घर में ताला तक नहीं लगाता है। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक बीते 50 सालों में गांव में एक भी चोरी या सेंधमारी की वारदात नहीं हुई है।