आर्थिक वृद्धि 2015-16 में 7-7.5 प्रतिशत ही रहेगी : मध्यावधि समीक्षा
नई दिल्ली : सरकार ने आज 2015-16 के लिए अपना आर्थिक वृद्धि का अनुमान 8.1-8.5 प्रतिशत से घटाकर 7-7.5 प्रतिशत कर दिया लेकिन कहा कि राजकोषीय घाटे के लक्ष्य लक्ष्य प्राप्त कर लिया जाएगे। सरकार का कहना है कि सार्वजनिक उपक्रम की हिस्सेदारी की बिक्री से होने वाली आय लक्ष्य से कम भले ही रहे पर इसकी भरपाई कर-राजस्व में वृद्धि से हो जाएगी।
रपट में कहा गया है, ‘जो चुनौतियां हैं उनके मद्देनजर हमारा अनुमान है कि इस साल वस्ताविक आर्थिक वृद्धि 7.7.5 प्रतिशत के दायरे में रहेगी।’ जबकि खुदरा मुद्रास्फीति आरबीआई के करीब छह प्रतिशत के लक्ष्य के दायरे में ही रहेगी।
संवाददाताओं से बातचीत करते हुए मुख्य आर्थिक सलाहकार और इस समीक्षा के लेखक अरविंद सुब्रमणियन ने कहा, ‘अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है लेकिन इस सुधार की शक्ति और दायरे का अभी बिल्कुल सुनिश्चित आकलन करना मुश्किल है। एक वजह है कि अर्थव्यवस्था मिले-जुले संकेत भेज रही है और दूसरे सकल घरेलू उत्पाद के जो आंकड़े आए हैं उसकी व्याख्या को लेकर अनिश्चितता है।’
विश्लेषण के अनुसार, ‘आंकड़ों की अनिश्चितता इस बात में झलकती है कि अर्थव्यवस्था से मिले-जुले और कभी-कभी तो पेचीदे संकेत उभर रहे हैं।’ वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने हालांकि कहा, ‘इस विश्लेषण से संकेत मिलता है कि सरकार का राजकोषीय और आर्थिक प्रदर्शन किया बेहतरीन रहा है।
सार्वजनिक निवेश और निजी खपत आर्थिक वृद्धि को आगे बढ़ा रही है। हम भारत में बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं हालांकि अर्थव्यवस्था के कुछ ऐसे क्षेत्र हैं, जिनमें हम और बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं।’ सरकार ने फरवरी में 2015-16 के लिए 8.1-8.5 प्रतिशत की वृद्धि दर का अनुमान जाहिर किया था। इसे घटाकर 7-7.5 प्रतिशत कर दिया गया है। ऐसा मुख्य तौर पर कम बारिश और वैश्विक घटनाक्रमों के कारण निर्यात में नरमी के कारण है।
वित्त वर्ष 2015-16 में हुए कर संग्रह को उत्साहजनक करार देते हुए समीक्षा में कहा गया, ‘उत्साहजनक प्रदर्शन बेहतर कर प्रशासन विशेष तौर पर अप्रत्यक्ष कर के संबंध में जाहिर हो सकता है।’ इसमें कहा गया, ‘अप्रत्यक्ष कर का प्रदर्शन प्रत्यक्ष कर से बेहतर रहा है शायद इसलिए कि कापरेरेट मुनाफा उत्साहजनक नहीं रहा जिससे वर्तमान मूल्य पर सकल घरेलू उत्पाद में नरमी की झलक दिखती है।’