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आवास योजना के लिए जमीन की पहचान कर रही मोदी सरकार

नई दिल्ली (एजेंसी)। देश में लोगों को किफायती कीमत पर आवास की सुविधा उपलब्ध कराने के मकसद से केन्द्र सरकार जमीन की पहचान करने में जुटी हुई है। प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से सभी सरकारी विभागों को गैर-उपयोगी जमीन की पहचान करने को निर्देश दिया गया हैं। खासतौर पर विकसित सरकारी कॉलिनियों में इन जमीनों की तलाश करने को कहा गया है ताकि अफोर्डेबल हाउसिंग प्रॉजेक्ट्स की योजना तैयार की जा सके। साल 2022 तक सभी को घर देने के वादे पर अमल को अगले आम चुनाव में बीजेपी अपनी जीत का मंत्र मानकर चल रही है।

अधिकारियों के मुताबिक अफोर्डेबल हाउसिंग स्कीमों को गति देने के लिए लैंड बैंक तैयार करना चाहती है। राज्य सरकारों को जमीन की कमी के चलते हाउसिंग प्रॉजेक्ट्स की योजना बनाने में मुश्किलें आ रही हैं। इस प्रयास के जरिए पीएमओ को उम्मीद है कि जमीनों की तलाश की जा सकेगी और फिर राज्य सरकार से कहा जाएगा कि वे इन जमीनों की उपलब्धता को लेकर प्रस्ताव भेजें। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पूरी प्रगति पर पीएमओ बारीकी से नजर रख रहा है। हमारा अनुभव है कि कुछ राज्य दूसरों की तुलना में बेहतर कर रहे हैं। उन्होंने लाभार्थियों की सूची तैयार कर ली है और भूमि की उपलब्धता को लेकर भी वहां कोई समस्या नहीं है। इसलिए अब सभी मंत्रालयों को आदेश दिए हैं कि वे एक लिस्ट तैयार करें कि किन कॉलोनियों में नए घरों का निर्माण किया जा सकता है।’

शहरी विकास मंत्रालय ने विकसित सरकारी कॉलोनियों में जमीनों का चुनाव शुरू कर दिया है। इन कॉलोनियों में मूलभूत सुविधाएं पहले से ही उपलब्ध हैं और मंजूरी में किसी तरह की समस्या आड़े नहीं आएगी। अब तक केंद्र सरकार ने 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 90हजार करोड़ रुपये के हाउसिंग प्रॉजेक्ट्स को मंजूरी दी है। सरकार ने 16.42 लाख सस्ते आवासों के निर्माण को मंजूरी दी है, इनमें सबसे अधिक 2.27 तमिलनाडु के लिए हैं। इसके अलावा 1.94 लाख की संख्या के साथ आंध्र प्रदेश दूसरे और 1.81 लाख मकानों के साथ मध्य प्रदेश तीसरे नंबर पर है। 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान बीजेपी ने 2022 तक सबको घर देने का वादा किया था।

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