आशा भट ने दुनियाभर की सुंदरियों को पीछे छोड़ते हुए मिस सुप्रानैशनल का खिताब अपने नाम किया
नई दिल्ली : कर्नाटक की टैलंटेड गर्ल आशा भट उस समय रातोंरात चर्चा में आ गईं, जब 2014 में उन्होंने दुनियाभर की सुंदरियों को पीछे छोड़ते हुए मिस सुप्रानैशनल का खिताब अपने नाम किया। अब आशा फिल्म जंगली से बॉलिवुड में दस्तक दे चुकी हैं…
आप एनसीसी में रही हैं, आर्मी में जाना चाहती थीं, तो कश्मीर के हालात और इंडो-पाक टेंशन पर आप क्या सोचती हैं?
मैं सच्ची देशभक्त हूं और हमारे घर में घुसकर कोई आपको तंग करेगा, तो आप क्या करेंगे? आपके फैमिली मेंबर को कोई तकलीफ पहुंचाए, तो आप गुस्सा हो जाते हैं, तो यहां देश की बात है। यह सब देखकर तकलीफ होती है, दुख होता है, लेकिन इसका मतलब भी यह नहीं है कि आप व्यावहारिकता खो दें। जंग हर चीज का जवाब नहीं है। मुझे सरकार पर भरोसा है। मुझसे कहीं ज्यादा दिमागवाले लोग फैसला लेने के लिए बैठे हैं। मैं देश के साथ खड़ी रहूं और सरकार के साथ हूं।
अक्सर देखा जाता है कि सौंदर्य प्रतियोगिता जीतने वाली ब्यूटी च्ींस का अगला कदम बॉलिवुड होता है। क्या आपके लिए भी मिस सुप्रानैशनल का खिताब एक जरिया था?
क्या होता है कि जब आप मिस इंडिया या इंटरनैशनल ब्यूटी कॉन्टेस्ट विनर बन जाते हैं, तो बॉलिवुड में एंट्री थोड़ी आसान हो जाती है। अवॉर्ड फंक्शंस में जाने का मौका मिलता है, आप इंडस्ट्री के लोगों से मिल सकते हैं, तो लगता है कि यहां तक आ ही गए हैं, तो क्यों न फिल्मों के लिए भी कोशिश की जाए। जैसे, ऐक्टिंग मेरे करियर लिस्ट में नहीं थी, लेकिन जब मैं मुंबई आ गई, तो काम तक पहुंचना आसान हो गया था। मुझे टाइम्स टैलंट मैनेजमेंट कंपनी ने साइन किया था, वे कहते थे कि आशा यहां पर ऑडिशन है, तुम ट्राई करके देखो। मैं 15 सालों से ट्रेंड भरतनाट्यम डांसर हूं। कर्नाटक म्यूजिक सिंगर भी हूं, पैरंट्स का सपोर्ट भी पूरा था, तब सोचा ऑडिशन देकर देखते हैं। मेरी मां कहती हैं कि झाड़ू भी मारो, तो ऐसे मारो कि किसी कोने में धूल न दिखे। मैंने हमेशा उनकी यह बात मानी है कि आपको अगर कुछ करना है, कुछ बनना है तो अपना सौ फीसदी देना पड़ेगा, वह चाहे मेरी एनसीसी हो, ब्यूटी पेजेंट हो या ऐक्टिंग। हालांकि, मैंने अपने लिए एक प्रैक्टिकल लिमिट भी रखी थी कि दो साल में कुछ कर पाई, तो ठीक है, वरना आगे कुछ और कर लेंगे।
बैकअप प्लान के तौर पर क्या सोचा था?
मैं एनसीसी में रही हूं, तो बैकअप प्लान यह था कि वापस आकर आर्म्ड फोर्सेस (सेना) जॉइन कर लूंगी, सिग्नल कॉर्प्स में या कुछ और।
आपने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है, एनसीसी कैडेट रही हैं, भरतनाट्यम डांसर हैं, कर्नाटक म्यूजिक सिंगर हैं, फिर मिस सुप्रानैशनल और अब ऐक्ट्रेस, इतनी अलग-अलग चीजें करने का शौक कैसे लगा?
मैं टिपिकल साउथ इंडियन फैमिली से हूं, जहां कल्चरल ट्रेनिंग पढ़ाई के साथ-साथ चलती है। मेरी मॉम भी एथलीट हैं और कमाल की डांसर है, तो ये शौक वहां से आया। मेरे पैरंट्स पैथॉलजिस्ट हैं। मेरी बड़ी बहन सर्जन है। मेरे घरवाले हमेशा बहुत सपोर्टिव रहे। उनका कहना था कि बच्चा, तेरे को जो करना है, तू कर। तू उड़, गिरने की टेंशन मत ले, तू गिरेगी, तो हम पकड़ लेंगे, इसलिए मैं निडर होकर यह सब कर पाई। मैं कर्नाटक के भद्रावती इलाके से हूं,। वहां से मुंबई तक का सफर तय करना, यहां अपना नाम बनाना आसान नहीं है। मेरी फैमिली ऐसी है कि एक को कुछ करना है, तो चारों मिलकर उसकी तैयारी करते हैं।
आपको लगता है कि जंगली आपके बॉलिवुड डेब्यू के लिए बेस्ट फिल्म है?
पहली फिल्म हम नहीं चूज करते, फिल्म हमें चूज करती है। मैं इसे ड्रीम डेब्यू नहीं कहूंगी, क्योंकि मैंने यह सपना देखा ही नहीं था कि चक रसेल जैसा डायरेक्टर, जंगली पिक्चर्स जैसा प्रॉडक्शन, विद्युत, पूजा इन सबके साथ काम करूंगी। फिर, मेरा रोल भी स्ट्रॉन्ग है। मैं इस फिल्म में एक निडर जर्नलिस्ट मीरा का किरदार निभा रही हूं। इस फिल्म का कॉन्टेंट करीब चार दशक बाद एक ऐसी फिल्म आ रही है, जिसमें स्क्रीन पर असल हाथी दिखेंगे। यह मेरे लिए बेस्ट डेब्यू फिल्म है।