आश्चर्यजनक! छत्तीसगढ़ की यह नदी 72 घंटे में हुई लाल
बिलासपुर. मनियारी नदी का पानी लाल होने का रहस्य अब तक बरकरार है। मंगलवार को प्रशासन का महकमा खानापूर्ति करता रहा। कोई आला अफसर इस बात की तस्दीक करने नहीं पहुंचा कि जीवनदायिनी मनियारी का पानी आखिर लाल कैसे हो गया। ग्रामीणों को यह मलाल रह गया कि आखिर लाल पानी का रहस्य नहीं जान पाए।
कुछ ग्रामीणों से बात की गई तो उन्होंने गांव में चल रहे उद्योगों पर अंगुली उठाई। मनियारी नदी का पानी पिछले 72 घंटों से लाल हो गया है। प्रशासन के उच्च अधिकारियों को भी इसकी जानकारी है, लेकिन मौके पर कोई आला अफसर नहीं पहुंचा। हालांकि सरगांव तहसीलदार ने मुस्तैदी दिखाते हुए पानी का सैंपल लिया है उसकी लैब टैस्टिंग कराने की बात कही है।
इन सब के बीच ग्रामीणों का कहना है कि गांव में चल रहे उद्याेगों में रात में काम होता है, इन उद्योगों से कई प्रकार के कैमिकल व जहरीली गैस निकलती है, जिससे पूरा वातावरण प्रदूषित हो चुका है। गांव में चल रहे वासुदेव ट्रेड लिंक स्पंज आयरन प्लांट के मैनेजर विनोद कुमार बताते हैं कि उनकी फैक्ट्री से किसी प्रकार का कैमिकल नदी में नहीं डाला जाता है।
प्लांट में 12 हजार लीटर पानी उपयोग में लाया जाता है जिसके लिए नदी से एक बूंद नहीं लिया जाता है। काम पूरा होने के बाद इसे रिसाइकिंल कर पुन: उपयोग में लाया जाता है। वहीं पाॅवर प्लांट रियल पाॅवर के फैक्ट्री मैनेजर ने बताया कि वे कोयले और भूसे से पॉवर बनाते हैं। इसके लिए मनियारी नदी से 15 हजार घन लीटर पानी लिया जाता है, जिसे उपयोग के बाद रिसाइकिल किया जाता है।
नदी में पानी डालने का सवाल ही नहीं उठता है। मनियारी नदी के पानी का लाल होना ने दोनों प्लांट के अधिकारियों को संशय में डाल दिया है। दोनों ही उद्योग के अफसर अपने स्तर पर जांच करने की बात कह रहे हैं।
ग्राम अंडा, टिकैथपेंड्री, अटर्रा, खम्हारडीह, भकरी, सल्फा, मोहदा, लुकव, भकरीडीह के 20 हजार से ज्यादा ग्रामीण मनियारी नदी से प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हैं। जिसके प्रदूषित होने से इनके दैनिक जीवन में कई समस्याएं पैदा हो रही हैं।
जलसंसाधन ने नहीं दिखाई सक्रियता
जल संसाधन व पीएचई विभाग ने टाइम कीपर व एक अन्य कर्मचारी को भेजा, लेकिन यह कर्मचारी भी खानापूर्ति करते रहे। केवल मोबाइल से आसपास की फोटो लेकर चलते बने।
इससे साफ जाहिर होता है कि दोनों विभाग के अधिकारियों को मनियारी के लाल पानी से कोई गुरेज नहीं है। अपने चेंबर से बाहर निकलना भी इन अधिकारियों को नागवार गुजर रहा है।
अफसरों से की गई बात
अखबार में छपी खबर के बाद उच्च अधिकारियों से मनियारी नदी के संबंध में बात की गई थी। मौके पर जाकर नदी के पानी का सैंपल लिया गया है, जिसे जांच के लिए लैबोरेट्री भेजा जाएगा। इसमें अब तक पब्लिक न्यूसेंस की बात दिखाई देती है। प्रतिवेदन बनाकर एसडीएम के समक्ष भेजा जाएगा। -अश्वनी कंवर, तहसीलदार, पथरिया
रात में काम
यहां की दोनों बड़े उद्योगों में रात में काम होता है। दिन भर ट्रकों से मटैरियल सप्लाई होती है। नदी में इन्हीं उद्योगों से पानी आ रहा है। जिसका प्रभाव हमारे दैनिक जीवन पर पड़ रहा है। सखी चंद्र वर्मा, सरपंच पति
हवा भी हुई जहरीली
जब से यहां उद्योग लगे हैं, तब से गांव की हवा जहरीली हो चुकी है। नदी का पानी पीने योग्य नहीं बचा है। नहाने से शरीर में खुजली की शिकायत होती है। इसके लिए प्रशासन जिम्मेदार है। अजय सिंह, ग्रामीण – सुबह-शाम तैलीय पदार्थ
नदी के पानी का रंग लाल
मनियारी नदी के पानी में सुबह व शाम के समय तैलीय पदार्थ दिखाई देता है। पिछले दो दिनों से नदी के पानी का रंग लाल हो चुका है। गांव में चलने वाली फैक्ट्री का गंदा पानी इसकी मुख्य वजह हो सकती है। कौशल दुबे, ग्रामीण
संदेह के घेरे में उद्योग
ग्रामीणों की मानें तो नदी के आसपास कुछ उद्योग हैं, जिनसे नदी में पानी छोड़ा जा रहा है और लिया भी जा रहा है। उद्योग के अफसर ये दावा कर रहे हैं कि नदी में वेस्ट पानी को नहीं छोड़ा जा रहा है, बल्कि रिसाइकिल करके उसका फिर से उपयोग किया जा रहा है। दूसरी ओर ग्रामीणों का कहना है कि इन फैक्ट्रियों के कारण ही नदी के पानी का रंग लाल हो गया है। जब नदी में अधिक पानी था, पानी का बहाव तेज था, तब यह नजर नहीं आ रहा था, लेकिन अब पानी का बहाव थम गया है, इसकी वजह से पानी का रंग लाल दिखाई देने लगा है। ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि फैक्ट्रियों में पानी को रिसाइकल नहीं किया जा रहा है।