आाखिर कहां हुआ ज्योतिष विद्या का उदय!
‘ज्योतिषां सूर्यादि ग्रहाणां बोधकं शास्त्र्म’
मतलब यह हुआ कि ग्रह (ग्रह, नक्षत्र, धूमकेतु आदि) और समय का ज्ञान कराने वाले विज्ञान को ज्योतिष अर्थात ज्योति प्रदान करने वाला विज्ञान कहते हैं। एक तरह से यह रास्ता बतलाने वाला शास्त्र है। जिस शास्त्र से संसार का ज्ञान, जीवन-मरण का रहस्य और जीवन के सुख-दुःख के संबंध में ज्योति दिखाई दे वही ज्योतिष शास्त्र है। इस अर्थ में वह खगोल से ज्यादा अध्यात्म और दर्शनशास्त्र के करीब बैठता है। ऐसा माना जाता है कि ज्योतिष का उदय भारत में हुआ, क्योंकि भारतीय ज्योतिष शास्त्र की पृष्ठभूमि 8000 वर्षों से अधिक पुरानी है। भारतीय ज्योतिष के प्रमुख ज्योतिर्विद और उनके द्वारा लिखे गए खास-खास ग्रंथ-
पाराशर मुनि : वृहद पाराशर, होरा शास्त्र
वराह मिहिर : वृहद संहिता, वृहत्जातक, लघुजातक
भास्कराचार्य : सिद्धांत शिरोमणि
श्रीधर : जातक तिलक
ज्योतिष शास्त्र के कुछ और जाने-माने ग्रंथ
सूर्य सिद्धांत
लघु पाराशरी
फल दीपिका
जातक पारिजात
मान सागरी
भावप्रकाश
भावकुतूहल
भावार्थ रत्नकारा
मुहूर्त चिन्तामणि
भृगु संहिता
इसके आलावा भी अन्य कई ग्रंथ हैं, जैसे रावण संहिता, सामुद्रिक शास्त्र आदि… इनकी सूची अनंत है।