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इंडोनेशिया में 4 को मिली सजा-ए-मौत, गुरदीप की ‘सांसें’ अटकी

indonesia-executes_29_07_2016जालंधर/जकार्ता। इंडोनेशिया ने भारी विरोध के बावजूद ड्रग्स तस्करी के 4 दोषियों को गोली मार कर मौत की सजा दे दी है। ड्रग्स तस्करी के आरोप में भारत के गुरदीप सिंह (48 साल) को भी सजा मिलनी है, लेकिन गुरुवार रात सिर्फ 4 लोगों को ही सजा दी गई। इंडोनेशिया सरकार ने अब तक ये भी साफ नहीं किया है कि गुरदीप समेत बाकी 10 लोगों को सजा क्यों नहीं दी गई। अभी तक इस पर भी बादल छाए हुए हैं कि बाकी बचे इन लोगों को सजा दी जाएगी या सजा पर रोक लग गई है? इस बीच भारत सरकार गुरदीप को बचाने की पूरी कोशिश कर रही है।

बीते कई दिनों से इस सजा के खिलाफ कई मानवाधिकार कार्यकर्ता विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। 4 लोगों को दी गई सजा-ए-मौत को मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का मोमबत्ती मार्च भी रोक नहीं पाया। कुछ घंटे में 10 और दोषियों को ऐसी ही खतरनाक सजा दी जानी है। सबके लिए ताबूत नुसा कामबांगान जेल में पहले ही पहुंच दिए गए हैं।

इंडोनेशिया में गोली मारकर सजा-ए-मौत देने का कानून है। इंडोनेशिया में दी जा रही सजा ए मौत पर भारत की भी नजर बनी हुई है। इस पूरे मामले पर जालंधर के नकोदर की एक मां, एक बेटे और बेटी की नजर है। जिन 14 लोगों को इंडोनेशिया की अदालत ने सजा-ए-मौत की सजा सुनाई है, उसमें जालंधर का रहने वाले गुरदीप सिंह भी हैं। गुरदीप को भी गोली मारकर मौत की सजा देने का फरमान सुनाया जा चुका है। गुरदीप की पत्नी कुलविंदर कौर और बेटी मनजोत और बेटा सुखबीर सिंह इस मामले में चमत्कार की आस लगाए बैठे हैं।

यूं फंसे थे ड्रग रैकट में गुरदीप

14 साल पहले गुरदीप जालंधर से वर्क वीजा पर न्यूजीलैंड जाने के लिए निकला था। एजेंट ने न्यूजीलैंड तो नहीं पहुंचाया, लेकिन इंडोनेशिया में गुरदीप ड्रग्स रैकेट में फंस गया। पाकिस्तान के जुल्फिकार अली के कारण गुरदीप मौत के दरवाजे तक पहुंच गया। 2004 में जकार्ता एयरपोर्ट पर 300 ग्राम हेरोइन की तस्करी के आरोप में गुरदीप गिरफ्तार हुआ था। जिन 14 लोगों को सजा-ए-मौत हुई है उसमें पाकिस्तान का अली भी है। अली की सजा रुकवाने के लिए पाकिस्तान सरकार भी हाथ पैर मार रही है। 14 लोगों में नाइजीरिया, पाकिस्तान, जिम्बाब्वे के साथ साथ इंडोनेशिया के भी नागरिक हैं।

गुरदीप को बचाने के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज कोशिश कर रही हैं लेकिन अभी उन कोशिशों का असर दिखना बाकी है। गुरदीप की जान बचाने का अधिकार सिर्फ इंडोनेशिया के राष्ट्रपति के पास है। गुरदीप दया याचिका राष्ट्रपति को दे सकता है। गुरदीप से भारतीय दूतावास के अधिकारी मिले हैं लेकिन देर बहुत हो चुकी है। अब चमत्कार ही गुरदीप को बचा सकता है।

विदेश मंत्री ने दिया भरोसा, जिंदा लाएंगे गुरदीप को

वहीं, विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज ने परिवार को फोन कर सांत्‍वना दी। उन्होंने कहा कि वे पूरा प्रयास कर रहे हैं कि गुरदीप की मौत की सजा पर अमल न हो और वह सकुशल लौट आए।

गुरदीप ने की बात, जिंदा लौटना मुश्किल

गुरदीप ने इस दौरान परिवार वालों से बात की। उसने कहा कि उसे शुक्रवार को सजा दी जाएगी। ऐसे में उसका जिंदा लौटना मुश्किल है। फिलहाल, गुरदीप का परिवार उसकी जिंदगी की दुआएं मांग रहा है।

 

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