अजब-गजब

इन अरबपति भाइयों ने आपस में की मारपीट, और गंवा दिए 225,00,00,00,000 रुपये

रैनबैक्सी के पूर्व मालिकों के बीच अब संपत्ति का विवाद मारपीट तक पहुंच गया है. मलविंदर सिंह ने आरोप लगाया है कि उनके छोटे भाई शिविंदर सिंह ने उनके साथ मारपीट की. उन्होंने चोट के निशान दिखाते हुए छोटे भाई पर उन्हें पीटने का आरोप लगाया है. मलविंदर का कहना है कि उनके छोटे भाई शिविंदर सिंह ने उनसे और परिवारवालों से मारपीट की और धमकियां भी दी. मालूम हो कि मलविंदर सिंह और शिविंदर सिंह के बीच पिछले कुछ सालों से संपत्ति को लेकर विवाद चल रहा है.

इन अरबपति भाइयों ने आपस में की मारपीट, और गंवा दिए 225,00,00,00,000 रुपयेबताया जाता है कि मलविंदर सिंह और शिविंदर सिंह दो साल पहले से चर्चा में हैं, जब यह पता चला कि उनके ऊपर करीब 13,000 करोड़ रुपये का कर्ज हो गया है. यह तब है, जब 2008 में उन्होंने तबकी भारत की सबसे बड़ी दवा कंपनी रैनबैक्सी को जापान की दाइची सैंक्यो को बेचा था और इससे उनके पास 9,567 करोड़ रुपये की नकदी आ गई थी. यह कंपनी उन्हें अपने पिता परविंदर सिंह से विरासत में मिली थी.

रैनबैक्सी को बेचने के बाद पिछले 10 साल में सिंह बंधु ने फोर्टिस हेल्थकेयर और रेलिगेयर एंटरप्राइजेज जैसे एनबीएफसी से भी अपना प्रभावी नियंत्रण खो दिया. जबकि सिंह बंधुओं द्वारा रैनबैक्सी बेचे जाने के दो साल बाद ही अजय और स्वाति पीरामल ने अपने फार्मा कारोबार को अबॉट लेबोरेटरीज को बेच दिया था और इससे उन्हें 18,000 करोड़ रुपये मिले थे. आज पीरामल परिवार ने इस पैसे को फिर से निवेश कर 25,000 करोड़ की संपत्त‍ि बना ली है.

सिंह बंधुओं की सफलता की चमकदार कहानी में ट्रेजडी का सिलसिला शुरू हुआ रैनबैक्सी के बेचने और उससे मिली नकदी के बाद. रैनबैक्सी बेचने से मिली करीब 9,500 करोड़ रुपये की नकदी में से सिंह बंधुओं ने 2,000 करोड़ रुपये टैक्स और पुराने लोन चुकाने में लगाए. बचे 7,500 करोड़ रुपये में से 1,750 करोड़ रुपये रेलिगेयर में लगाए गए ताकि कंपनी में और तरक्की हो. इसी तरह 2,230 करोड़ रुपये फोर्टिस में ग्रोथ के लिए लगाए गए.

लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात है कि 2,700 करोड़ रुपये गुरु ढिल्लन के परिवार की कंपनियों को ट्रांसफर कर दिया गया. इसके अलावा रेलिगेयर और फोर्टिस में मनमाने तरीके से विस्तार के लिए पैसे लगाए गए, जिससे काफी नुकसान हुआ. सिंह बंधु अब आरोप लगा रहे हैं कि इसमें गोधवानी ने काफी मनमानी की, लेकिन गोधवानी से जुड़े सूत्र कहते हैं कि सिंह बंधुओं को हर कदम की जानकारी थी और उन्होंने सभी जरूरी दस्तावेजों पर दस्तखत किए थे.

सिंह बंधुओं से मिले पैसे की वजह से ढिल्लन परिवार ने रियल एस्टेट सेक्टर में जमकर निवेश किया. मंदी के दौर में रेलिगेयर और फोर्टिस को लोन चुकाने में काफी दिक्कत होने लगी. इसी तरह रियल एस्टेट में मंदी आने से ढिल्लन परिवार को भी काफी नुकसान हुआ. इसमें सबसे ज्यादा नुकसान में सिंह परिवार ही रहे. कुल मिलाकर कहें तो भारी नकदी से लबालब एक बड़ा कारोबारी परिवार आज बर्बाद होने की कगार पर पहुंच गया है.

इस तरह सिंह बंधुओं ने ढिल्लन परिवार को करीब 4000 से 5000 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए. लेकिन ये पैसे उनको वापस नहीं मिल पाए हैं. सिंह बंधुओं से मिले पैसे की वजह से ढिल्लन परिवार ने रियल एस्टेट सेक्टर में जमकर निवेश किया. मंदी के दौर में रेलिगेयर और फोर्टिस को लोन चुकाने में काफी दिक्कत होने लगी. इसी तरह रियल एस्टेट में मंदी आने से ढिल्लन परिवार को भी काफी नुकसान हुआ. इसमें सबसे ज्यादा नुकसान में सिंह परिवार ही रहे. कुल मिलाकर कहें तो नकदी से लबालब एक बड़ा कारोबारी परिवार आज बर्बाद होने की कगार पर पहुंच गया है.

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