इन अशुभ समय में जन्म लेने वालों का पूरा जीवन रहता है अत्यन्त कष्टकारी
ज्योतिष शास्त्र में किसी शुभ कार्य के लिए शुभ समय और अशुभ समय दोनों होता है। यदि किसी जातक का जन्म अशुभ समय पर हुआ है तो उसे जीवन में कई कष्ट भोगने पड़ सकते हैं, लेकिन आपका जन्म शुभ समय पर हुआ है तो आपको जीवन में सफलता और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी।
अमावस्या तिथि में जन्म
ज्योतिष में अमावस्या तिथि को अशुभ माना जाता है। अमावस्या के दिन जिन व्यक्तियों का जन्म होता है उनके लिए जीवनभर आर्थिक परेशानी से जूझना पड़ सकता है।
संक्रांति में जन्म
संक्रांति की तिथि को भी अशुभ माना गया है। साल में कुल मिलाकर सूर्य की 12 संक्रांतियां होती है। अलग-अलग संक्रांति में जन्मे लोगों पर इसका असर भी अलग होता है।
भद्राकाल में जन्म
भद्राकाल भी अशुभ माना जाता है। जब भी भद्राकाल लगी हुई होती है तो इसमें किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है। जिन लोगों का जन्म भद्राकाल में होता है उनका जीवन कष्टकारी रहता है।
कृष्ण चतुर्दशी में जन्म
जिन लोगों का जन्म कृष्ण चतुर्दशी के दिन होता है उनके लिए यह समय अच्छा नहीं होता है।
ग्रहण वाले दिन में जन्म
सूर्यग्रहण या चंद्रग्रहण को बहुत ही अशुभ माना गया है। ग्रहण काल के दौरान जन्मे लोगों की अचानक मृत्यु की संभावना भी बनी रहती है।
एक समान नक्षत्रों में पैदा होने पर
जिन परिवार के कुछ सदस्यों का जन्म एक ही नक्षत्र में होता है तो उसे भी अशुभ माना गया है। इन्हें कई तरह की परेशानियां होती है।
सर्पशीर्ष में जन्म
सर्पशीर्ष में पैदा हुए जातकों के लिए जीवन बहुत ही कष्टकारी रहता है।
त्रिखल दोष में जन्म
त्रिखल दोष वह दोष होता है जब किसी परिवार में 3 बेटियों के बाद बेटे का जन्म होता या उसके उलट 3 बेटों के बाद एक बेटी का जन्म होता है तब उसे त्रिखल दोष कहा जाता है।
मूल नक्षत्र में जन्म
जब किसी बच्चे का जन्म मूल नक्षत्र में होता है उसे अशुभ माना जाता है। मूल नक्षत्र में जन्म लेने वाले बच्चे के माता-पिता को आयु और धन हानि होने की संभावना होती है। इस दोष को खत्म करने के लिए 27 दिन के भीतर मूल शांति का पाठ कराना शुभ होता है।
अन्य दोष
कुंडली में यमघण्ट योग, वैधृति या व्यतिपात योग और दग्धादि योग को भी अशुभ माना गया है।