अद्धयात्म
इन उपायों से आप भी टाल सकते हैं दिशाशूल का दोष
अष्टमी तिथि में नृत्य, गीत-संगीत, अभिनय, नाटक, रत्न, अलंकार, शस्त्र, युद्ध, वास्तुकर्म, विवाहादि मांगलिक कार्य और प्रतिष्ठादिक कार्य शुभ व सिद्ध होते हैं।
नवमी भद्रा संज्ञक तिथि में शुभ व मांगलिक कार्य शुभ नहीं होते। वैसे विग्रह, कलह, मद्यनिर्माण, आखेट, जुआ, अग्निविषादिक असद् कार्य और अभिघातादिक कार्य सिद्ध होते हैं।
दशमी तिथि में समस्त शुभ व मांगलिक कार्य शुभ कहे गए हैं। नवमी तिथि में जन्मा जातक सामान्यत: धनवान, दानी, कीर्तिवान, विद्यावान, कार्यकुशल, शस्त्रविद्या का थोड़ा अभ्यास रखने वाला और आस्थावान होता है।
उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में यदि समय शुद्ध हो व तिथि आदि शुभ हो तो विवाह, यज्ञोपवीत, देवस्थापन, वास्तु और अभिषेक आदि विषयक कार्य तथा रेवती नक्षत्र में घर, देवमन्दिर, अलंकार, विवाह, जनेऊ तथा अन्य जल-स्थल सम्बन्धी कार्य शुभ रहते हैं। पर अभी मलमास दोष के कारण शुभ व मांगलिक कार्य वर्जित हैं।
रेवती गंडान्त मूल संज्ञक नक्षत्र भी है। अत: इस नक्षत्र में जन्मे जातकों की 27 दिन बाद जब पुन: रेवती नक्षत्र आए तब शान्ति करा लेना जातकों के हित में होगा।
उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में जन्मा जातक सुन्दर, पराक्रमी, साहसी, बुद्धिमान, बोलचाल की भाषा में निपुण, उदार, परोपकारी, शत्रुजित, धर्मात्मा व धनवान होता है। क्रूर ग्रह की दशा में केतु, सूर्य और मंगल के अन्तर में चोरी, हानि व शत्रुबाधा की संभावना रहती है।
वारकृत्य कार्य
शनिवार को दारूण व तीक्ष्ण संज्ञक कार्य अस्त्र-शस्त्र धारण, नवीन गृहप्रवेश (समय शुद्ध हो व तिथ्यादि ग्राह्य हो), विषदान, असत्य भाषण, पशु क्रय-विक्रय और काष्ठकर्म आदि कार्य शुभ व सिद्ध होते हैं।
दिशाशूल
शनिवार को पूर्व दिशा की यात्रा में दिशाशूल रहता है। अति आवश्यकता में कुछ उड़द दाने चबाकर शूल दिशा की अनिवार्य यात्रा पर प्रस्थान कर लेना चाहिए। चन्द्र स्थिति के अनुसार कल उत्तर दिशा की यात्रा लाभदायक व शुभप्रद रहेगी।