अन्तर्राष्ट्रीय

इमरान बोले- कोई गैर-मुस्लिम नहीं बनेगा पाकिस्तान का प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति

इस्लामाबाद: पाकिस्तान पूरी दुनिया में भारत की छवि को यह कहकर खराब कर रहा है कि भारत में अल्पसंख्यकों के साथ अन्याय हो रहा है। वहां मानव अधिकारों का उलघ्घन हो रहा है। हालांकि, अब तक पाकिस्तान इस बात को साबित नहीं कर सका है। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ कैसा बर्ताव किया जाता है इसकी तस्वीरें कई बार सामने आ चुकी है। हाल ही में संपन्न हुए UNGA के 74वें सत्र के दौरान भी पाकिस्तान के खिलाफ भारी प्रदर्शन देखने को मिला था। वहीं, अब पाकिस्तान से एक और खबर सामने आई है, जिसमें अल्पसंख्यकों के अधिकार छीने जा रहे हैं।

पाकिस्तान की संसद ने एक अल्पसंख्यक ईसाई सदस्य के संविधान संशोधन बिल को रद कर दिया है, जिसमें किसी गैर-मुस्लिम के पाकिस्तान का प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति बनने का प्रावधान था। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भारत पर हमले करते हुए कहा कि नई दिल्ली (भारत सरकार) मुसलमानों को उनके मौलिक अधिकारों से वंचित कर रही है और यह मुस्लिम बहुल कश्मीर घाटी की जनसांख्यिकी को बदलने का प्रयास कर रही है।

कुल मिलाकर पाकिस्तान की राष्ट्रीय सभा में इस बिल को गिराने की आवाज तेज हुई और अल्पसंख्यक सदस्य डॉ नावेद आमिर जीवा द्वारा संविधान (संशोधन) विधेयक 2019 को पेश करने की कोशिश को दबा दिया गया। जीवा ने संविधान के अनुच्छेद 41 और 91 में संशोधन करके गैर-मुस्लिमों को पाकिस्तान का प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति बनने की अनुमति देने की मांग की थी। संसदीय मामलों के राज्य मंत्री अली मुहम्मद ने प्रस्तावित कानून का विरोध करते हुए कहा कि पाकिस्तान एक इस्लामी गणराज्य है जहां केवल एक मुस्लिम को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के स्लॉट में उतारा जा सकता है।

जमात-ए-इस्लामी (JI) के सदस्य मौलाना अब्दुल अकबर चित्राली ने मंत्री द्वारा उठाए गए रुख की सराहना करते हुए कहा कि संसद में इस्लामिक मूल्यों और शिक्षाओं के खिलाफ कोई कानून पारित, या उनपर बहस नहीं की जा सकती। बता दें कि बुधवार को पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के विचार-विमर्श से यह बात साफ हो गई कि पाकिस्तान के अल्पसंख्यक कभी भी देश के सर्वोच्च पद की आकांक्षा नहीं कर सकते।

बता दें कि भारत में तीन मुस्लिम राष्ट्रपति जाकिर हुसैन, फखरुद्दीन अली अहमद और डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम रहे हैं। मोहम्मद हिदायतुल्ला एक समय के लिए कार्यवाहक राष्ट्रपति थे। हिदायतुल्ला ने न केवल भारत के उपराष्ट्रपति के रूप में कार्य किया, बल्कि वे भारत के 11 वें मुख्य न्यायाधीश भी थे। मोहम्मद हामिद अंसारी ने 10 साल तक भारत के उपराष्ट्रपति के रूप में कार्य किया।

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