अद्धयात्म

इस जन्माष्टमी ऐसे करें श्री कृष्ण की आराधना, दूर हों जायेंगे सभी संकट

इस दुनिया का पालन ईश्वर की क्रियात्मक शक्ति करती है और उस शक्ति का नाम कृष्ण है. बिना कृष्ण के न तो सृष्टि का अस्तित्व है और न ही पालन. ग्रह, नक्षत्र, देवी, देवता, मानव, असुर, शुभ-अशुभ , सब कृष्ण के ही अधीन हैं. माना जाता है कि शनि भी कृष्ण की शक्ति के ही अधीन है.इस जन्माष्टमी ऐसे करें श्री कृष्ण की आराधना, दूर हों जायेंगे सभी संकट

शनि का कृष्ण से क्या संबंध है?

– शनि देव श्री कृष्ण के परम भक्त हैं.

– उनके अंदर, न्याय, ईमानदारी और अनुशासन कृष्ण कृपा से ही आता है.

– कृष्ण के ध्यान में डूबे होने के कारण उन्हें अपनी पत्नी से शाप भी मिला था.

– सिवाय मधुरता के शनि के अंदर बहुत सारे गुण श्री कृष्ण की तरह हैं.

– जो लोग श्रीकृष्ण के भक्त होते हैं, शनि उन्हें छू भी नहीं सकते.

किस प्रकार नियमित रूप से श्री कृष्ण की पूजा करें कि शनि बेहतर हो ?

– श्रीकृष्ण को गुरु रूप में स्थापित करें.

– दोनों वेला उन्हें पीले फूल और तुलसी दल चढ़ाएं.

– उन्हें और स्वयं को चंदन का तिलक जरूर लगाएं.

– इसके बाद दोनों हाथ उठाकर हरि कीर्तन करें.

– चाहें तो “कृष्ण कृष्ण” के नाम का जाप करें.

– भोजन पूर्ण सात्विक करें.

अगर शनि की साढ़े साती या ढैया पीड़ा दे रही हो ?

– श्रीकृष्ण के सम्पूर्ण चित्र या मूर्ति की स्थापना करें.

– उन्हें नित्य चंदन, पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें.

– इसके बाद कृष्ण मंत्र का दोनों वेला कम से कम 108 बार जाप करें.

– मंत्र होगा –

“ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।

प्रणत: क्लेश नाशाय, गोविन्दाय नमो-नमः।।”

अगर शनि के कारण रोजगार, स्वास्थ्य या आयु का संकट हो?

– भगवान कृष्ण के चित्र की स्थापना करें, जिसमें वह गाय के साथ हों.

– नित्य प्रातः उन्हें तुलसी दल डालकर पंचामृत अर्पित करें.

– इसके बाद “श्रीकृष्णम् शरणम् मम” का जाप करें.

– पंचामृत का प्रसाद ग्रहण करें.

– यह प्रयोग लगातार 27 दिनों तक करें.

– प्रातःकाल सूर्य को रोली मिलाकर जल अर्पित करें.

– मस्तक या कंठ पर रोली का तिलक लगाएं.

– पूरे दिन के कार्यों में सफलता मिलेगी.

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