दस्तक टाइम्स/एजेंसी: मां लक्ष्मी को अन्न-धन, सुख और समृद्धि की देवी माना जाता है। कहा जाता है कि जगत के उद्धार के लिए मां ने अनेक अवतार लिए। उनके विभिन्न रूपों की आज भी कई स्थानों पर पूजा होती है। मां लक्ष्मी का एक प्राचीन मंदिर काशी के खोजवा मोहल्ले में है।
यहां देवी की पूजा कौड़िया माता के रूप में की जाती है। भक्तों की मान्यता के अनुसार यह मंदिर 13 हजार साल पुराना है। यहां मां को पूजा के दौरान भक्त प्रसाद के रूप में पांच कौड़ियां चढ़ाते हैं। इनमें से चार कौड़ियां मां को भेंट की जाती हैं तो पांचवीं कौड़ी धन स्थान पर रखी जाती है। माना जाता है कि इससे जीवन में अन्न-धन की कमी नहीं आती और सदैव मां लक्ष्मी की कृपा रहती है। कहा जाता है कि कौड़िया देवी का संबंध मुख्यतः दक्षिण भारत से है। एक बार वे काशी स्थित भगवान शिव के मंदिर में दर्शन करने आईं। वहां उनके साथ एक बस्ती के लोगाें ने उत्तम व्यवहार नहीं किया। इससे रुष्ट होकर देवी ने अन्न-जल का त्याग कर दिया।
इसके पश्चात मां अन्नपूर्णा उनके पास आईं और उन्हें कौड़िया देवी के रूप में विराजमान किया। उन्होंने देवी को आशीर्वाद दिया कि जिस कौड़ी को मूल्यहीन माना जाता है, वह उन्हें अर्पित की जाएगी और वह अमूल्य हो जाएगी। उसके शुभ प्रभाव से भक्त के जीवन में अभाव और शोक नहीं आएंगे। कुछ मान्यताओं के अनुसार, कौड़िया देवी पूर्वजन्म में शबरी थीं जिन्होंने भगवान श्रीराम को जूठे बेर खिलाए थे। श्रीराम ने देवी के रूप में उनकी पूजा होने का आशीर्वाद दिया था।