इस धुरविरोधी पार्टी ने दिया मोदी सरकार का साथ, विपक्ष हुआ बेचैन
नई दिल्ली : मोदी सरकार के खिलाफ कल होने वाले अविश्वास प्रस्ताव से ठीक पहले शिवसेना ने एक बड़ा फैसला लिया है. बीते कुछ समय से बीजेपी के खिलाफ लामबंद रहने वाले उद्दव ठाकरे ने अविश्वास प्रस्ताव में मोदी सरकार के समर्थन में वोटिंग करने का फैसला लिया है. दरअसल बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने शिवसेना अध्यक्ष अमित शाह को फोन किया, जिसके बाद ठाकरे का यह फैसला आया है. गौरतलब है कि आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए अड़ी टीडीपी मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला रही है. 2019 से ठीक पहले विपक्ष को अपनी ताकत दिखाने का यह बड़ा मौका दिख रहा है. लेकिन अब शिवसेना के मोदी सरकार को समर्थन के फैसले से विपक्ष को तगड़ा झटका लगा है.
545 सदस्यों वाली लोकसभा में मौजूदा समय में 535 सांसद हैं. यानी बीजेपी को बहुमत हासिल करने के लिए महज 267 सांसद चाहिए. लोकसभा अध्यक्ष को हटाकर बीजेपी के पास अभी 273 सदस्य हैं. इसके अलावा बीजेपी के सहयोगी दलों में शिवसेना के 18, एलजेपी के 6, अकाली दल के 4, आरएलएसपी के 3, जेडीयू के 2, अपना दल के 2 अन्य के 6 सदस्य हैं. इस तरह से कुल संख्या 314 पहुंच रही है. ऐसे में बीजेपी को अविश्वास प्रस्ताव को गिराने और सरकार को बचाने में कोई दिक्कत नहीं होने वाली.
अविश्वास प्रस्ताव मोदी सरकार के लिए अग्निपरीक्षा की तरह है. लोकसभा में फिलहाल बीजेपी के पास अकेले 273 सांसद हैं, जबकि बहुमत के लिए उसे 272 सांसदों का आंकड़ा चाहिए. ऐसे में बीजेपी के पास बहुमत से एक सदस्य ज्यादा है. लेकिन मौजूदा समय में बीजेपी के कई सांसद बागी रुख अख्तियार किए हुए हैं. इनमें शत्रुघ्न सिन्हा, कीर्ति आजाद और सावित्री बाई फुले शामिल हैं.
ऐसे में तीन सीटें कम कर दी जाएं तो बीजेपी के पास 270 का आंकड़ा बचता है, जबकि उसे बहुमत के लिए सिर्फ 267 वोट चाहिए. मतलब मोदी सरकार को अविश्वाआस प्रस्ताुव गिराने के लिए सहयोगियों की भी जरूरत नहीं है. विपक्षी दलों की बात करें तो मौजूदा समय में लोकसभा में सबसे ज्याीदा 48 सीटें कांग्रेस के पास हैं. अविश्वा स प्रस्तालव लाने वाली टीडीपी के पास 16 सीटें हैं, जबकि जेडीएस के 1, एनसीपी के 7, आरजेडी के 4, टीएमसी के 34, सीपीआईएम के 9, सपा के 7 सदस्य हैं. इसके अलावा आम आदमी के 4, टीआरएस के 11, वाईएसआर कांग्रेस के 4,एयूडीएफ के 3 और बीजेडी के 20 सदस्य हैं. इन्हें मिला लेते हैं फिर भी 268 के आंकड़े को छू नहीं पा रहे हैं. इस तरह साफ है कि सदन में अविश्वास प्रस्ताव का औंधे मुंह गिरना तय है.