अद्धयात्म

इस नक्षत्र में जन्मे लोग होते हैं सत्यवादी!

phpThumb_generated_thumbnail (58)एजेंसी / 13 मार्च 2016 को रविवार है। इस दिन शुभ वि.सं.: 2072, संवत्सर नाम: कीलक, अयन: उत्तर, शाके: 1937, हिजरी: 1437, मु.मास: जमादि-उलसानि-3, ऋतु: बसंत, मास: फाल्गुन, पक्ष: शुक्ल है।
 
शुभ तिथि
पंचमी पूर्णा संज्ञक तिथि अपराह्न 3.16 तक, तदुपरान्त षष्ठी नन्दा संज्ञक तिथि रहेगी। पंचमी तिथि में समस्त शुभ व मांगलिक कार्य तथा अन्य चर व स्थिर कार्य सिद्ध होते हैं। पर कर्ज देना अच्छा नहीं होता। षष्ठी तिथि में काठ की दातुन, यात्रा, तेल लगाना तथा चित्रकारी को छोड़कर वास्तु, अलंकारादि व विवाहादि मांगलिक कार्य शुभ कहे गए हैं। 
 
पर भरणी नक्षत्र व वैधृति योग होने से शुभ व मांगलिक कार्यादि शुभ नहीं है। पंचमी तिथि में जन्मा जातक सामान्यत: व्यवहार कुशल, गुणग्राही, माता-पिता का भक्त, दानी, भोगी व अल्पप्रेम करने वाला होता है।
 
नक्षत्र
भरणी नक्षत्र पूर्वाह्न 11.07 तक, तदन्तर कृतिका ‘मिश्र व अधोमुखÓ संज्ञक नक्षत्र रहेगा। भरणी नक्षत्र में यथाआवश्यक उग्र व अग्निविषादिक असद् कार्य, दारुण व क्रूर संज्ञक कार्य, शत्रुमर्दन, कुआं व कृषि सम्बन्धी कार्य, इसी प्रकार कृतिका नक्षत्र में सभा, साहस, अग्निग्रहण, शत्रुनाश, विवाद व मणि सम्बन्धी कार्य करने योग्य हैं। भरणी नक्षत्र में जन्मा जातक सामान्यत: निरोगी, सत्यवक्ता, उत्तम विचार वाला, दृढ़प्रतिज्ञ, सुखी व धनी होता है। 
 
योग
वैधृति नामक अत्यन्त उपद्रवकारी योग सायं 5.52 तक, तदन्तर विष्कुम्भ नामक नैसर्गिक अशुभ योग रहेगा। विष्कुम्भ नामक योग की प्रारम्भिक तीन घटी शुभ कार्यों में त्याज्य है। वैधृति योग की समस्त घटियां शुभ कार्यों में त्याज्य हैं।
 
विशिष्ट योग
ज्वालामुखी नामक अशुभ योग पूर्वाह्न 11.07 तक, तदन्तर दोष समूह नाशक रवियोग नामक शक्तिशाली शुभ योग रहेगा। ज्वालामुखी योग में शुभ व मांगलिक कार्य वर्जित हैं।
 
करण
बालव नाम करण अपराह्न 3.16 तक, तदन्तर कौलवादि करण रहेंगे।
 
चंद्रमा
सायं 4.39 तक मेष राशि में, इसके बाद वृष राशि में रहेगा।
 
परिवर्तन
बुध सायं 7.28 पर पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में प्रवेश करेगा।
 
व्रतोत्सव
वैधृति पुण्यं है।
 
शुभ मुहूर्त
उक्त शुभाशुभ समय, तिथि, वार, नक्षत्र व योगानुसार किसी शुभ व मांगलिक कार्यादि के शुभ व शुद्ध मुहूर्त नहीं हैं।
 
वारकृत्य कार्य
रविवार को सभी स्थिर संज्ञक कार्य, राज्याभिषेक, उत्सव, गाना, बजाना, नई सवारी का प्रयोग, यान यात्रा, नौकरी, पशु क्रय-विक्रय, अग्नि सम्बन्धी कार्य, यज्ञ, हवन, औषध निर्माण व सेवन, अस्त्र-शस्त्र व्यवहार, सोना, ताम्बा, ऊन व काष्ठ सम्बन्धी कार्य तथा मंत्रोपदेश आदि विषयक कार्य करने योग्य हैं।
 
दिशाशूल
रविवार को पश्चिम दिशा की यात्रा में दिशाशूल रहता है। अति आवश्यकता में कुछ घी खाकर शूल दिशा की अनिवार्य यात्रा पर प्रस्थान कर लेना चाहिए। चन्द्र स्थिति के अनुसार कल पूर्व-दक्षिण दिशा की यात्रा लाभदायक व शुभप्रद रहेगी।
 

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