पर्यटन
इस नक्सल प्रभावित जिले में आते हैं ताजमहल से ज्यादा सैलानी, गोवा भी पीछे
दस्तक टाइम्स/एजेंसी: रायपुर। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित राजनांदगांव जिले में आगरा के ताजमहल से ज्यादा सैलानी पहुंचते हैं। छत्तीसगढ़ टूरिज्म डिपार्टमेंट द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2014 में यहां 80 लाख सैलानी पहुंचे थे जबकि ताजमहल देखने आने वालों की संख्या महज 60 लाख थी। वहीं, गोवा टूरिज्म डिपार्टमेंट के आधिकारिक वेब साइट के मुताबिक, पिछले साल वहां 40 लाख सैलानी पहुंचे थे। इस रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में सालभर में 2.44 करोड़ सैलानी पहुंचे थे। इनमें से 7777 विदेशी सैलानी थे। बताते चलें राजनांदगांव जिले का मोहलामानपुर इलाका नक्सल हिंसा से प्रभावित क्षेत्रों में आता है।
उठ रहे सवाल
एक अंग्रेजी वेबसाइट के अनुसार, राज्य टूरिज्म डिपार्टमेंट के ये आंकड़े न केवल चौंकाने वाले हैं बल्कि कई सवाल भी खड़े कर रहे हैं। टूरिस्ट के ऑल सीजन डेस्टिनेशन कहलाने वाले हिमाचल प्रदेश में पिछले साल केवल 1 करोड़ सैलानी पहुंचे थे। यह भी माना जा रहा है कि केंद्र से अधिक फंड निकलवाने के लिए हो सकता है कि टूरिज्म विभाग का डाटा जानबूझकर बदला गया हो या फिर डाटा कलेक्शन के तरीके में ही कोई खामी हो।
एक अंग्रेजी वेबसाइट के अनुसार, राज्य टूरिज्म डिपार्टमेंट के ये आंकड़े न केवल चौंकाने वाले हैं बल्कि कई सवाल भी खड़े कर रहे हैं। टूरिस्ट के ऑल सीजन डेस्टिनेशन कहलाने वाले हिमाचल प्रदेश में पिछले साल केवल 1 करोड़ सैलानी पहुंचे थे। यह भी माना जा रहा है कि केंद्र से अधिक फंड निकलवाने के लिए हो सकता है कि टूरिज्म विभाग का डाटा जानबूझकर बदला गया हो या फिर डाटा कलेक्शन के तरीके में ही कोई खामी हो।
नहीं है प्रॉपर तरीका
वहीं, छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड के अधिकारियों का मानना है कि देशभर में सैलानियों की वास्तविक संख्या ज्ञात करने का कोई प्रॉपर तरीका नहीं है। छत्तीसगढ़ में ज्यादातर सैलानी धार्मिक स्थलों पर पहुंचते हैं। इन स्थलों पर कोई टिकट सिस्टम नहीं है जिससे सैलानियों की वास्तविक संख्या का पता चल सके। टूरिज्म बोर्ड के जनरल सेक्रेटरी संजय सिंह का कहना है कि विभाग ने फॉरेस्ट डिपार्टमेंट, पुरातत्व विभाग और मंदिर ट्रस्टों से डाटा कलेक्ट किए हैं।
वहीं, छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड के अधिकारियों का मानना है कि देशभर में सैलानियों की वास्तविक संख्या ज्ञात करने का कोई प्रॉपर तरीका नहीं है। छत्तीसगढ़ में ज्यादातर सैलानी धार्मिक स्थलों पर पहुंचते हैं। इन स्थलों पर कोई टिकट सिस्टम नहीं है जिससे सैलानियों की वास्तविक संख्या का पता चल सके। टूरिज्म बोर्ड के जनरल सेक्रेटरी संजय सिंह का कहना है कि विभाग ने फॉरेस्ट डिपार्टमेंट, पुरातत्व विभाग और मंदिर ट्रस्टों से डाटा कलेक्ट किए हैं।
राजनांदगांव जिले में यहां आते हैं सबसे ज्यादा सैलानी
राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ में स्थित बम्लेश्वरी मंदिर में सबसे ज्यादा सैलानी पहुंचते हैं। यहां ऊंची पहाड़ी पर मां बम्लेश्वरी का मंदिर है। इस मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या ज्ञात करने का कोई प्रॉपर सिस्टम नहीं है। मंदिर के पार्किंग स्थल में एक रजिस्टर मेंटेन किया जाता है, जिसमें वहां आने वाली गाड़ियों और उनमें सवार लोगों की जानकारी दर्ज की जाती है।
राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ में स्थित बम्लेश्वरी मंदिर में सबसे ज्यादा सैलानी पहुंचते हैं। यहां ऊंची पहाड़ी पर मां बम्लेश्वरी का मंदिर है। इस मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या ज्ञात करने का कोई प्रॉपर सिस्टम नहीं है। मंदिर के पार्किंग स्थल में एक रजिस्टर मेंटेन किया जाता है, जिसमें वहां आने वाली गाड़ियों और उनमें सवार लोगों की जानकारी दर्ज की जाती है।