अद्धयात्म

इस पूजा से प्रसन्न होंगी मां पार्वती और महादेव देंगे मनचाहा वरदान, जानें पूरी विधि

प्रदोष काल में की जाने वाली साधना, व्रत एवं पूजन को प्रदोष व्रत या अनुष्ठान कहा गया है। भगवान शिव की साधना-आराधना से जुड़ा यह व्रत प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी वाले दिन किया जाता है। मान्यता है कि भगवान शिव को प्रसन्न करने वाले सभी व्रतों में यह व्रत बहुत जल्दी ही उनकी कृपा और शुभ फल दिलाने वाला है। मान्यता यह भी है कि प्रदोषकाल में भगवान शिव कैलास पर्वत पर प्रसन्न मुद्रा में नृत्य करते हैं। ऐसे में इस पावन तिथि पर भोलेनाथ की साधना करने से वे जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों को धन-धान्य से परिपूर्ण करते हैं। प्रदोष व्रत में शिव संग शक्ति यानी माता पार्वती की पूजा की जाती है।

प्रदोष व्रत के शुभ फल
पौराणिक मान्यता के अनुसार प्रदोष व्रत करने वाले साधक पर सदैव भगवान शिव की कृपा बनी रहती है और उसके जीवन से जुड़े सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। धर्म और मोक्ष से जोड़ने वाले, अर्थ और काम से मुक्त करने वाले इस व्रत को शास्त्रों में आरोग्य और लंबी आयु प्रदान करने वाला बताया गया है। भगवान शिव की कृपा से दु:ख दारिद्रय दूर होता है और कर्ज से मुक्ति मिलती है।

वार के हिसाब से मिलता है फल
प्रदोष काल में किये जाने वाले नियम, व्रत एवं पूजन को प्रदोष व्रत या अनुष्ठान कहा गया है। भगवान शिव और पार्वती की पूजा से जुड़ा यह पावन व्रत का फल प्रत्येक वार के हिसाब से अलग-अलग मिलता है। आइए दिनों के अनुसार जानते हैं प्रदोष व्रत का फल —

सोमवार — इस दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोषम् या चन्द्र प्रदोषम् भी कहा जाता है। इस दिन साधक अपनी अभीष्ट कामना की पूर्त्ति के लिए शिव की साधना करता है।
मंगलवार —  इस दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोषम् कहा जाता है और इसे विशेष रूप से अच्छी सेहत और बीमारियों से मुक्ति की कामना से किया जाता है।
बुधवार — इस दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को बुध प्रदोष व्रत कहते हैं। इस दिन किया जाने वाला प्रदोष व्रत सभी प्रकार की कामनाओं को पूरा करने वाला होता है।
गुरुवार — इस दिन किया जाने वाला व्रत गुरु प्रदोष व्रत कहते हैं। इस दिन शत्रुओं पर विजय पाने और उनके नाश के लिए इस पावन व्रत को किया जाता है।
शुक्रवार — इस दिन पड़ने वाले व्रत को शुक्र प्रदोष व्रत कहते हैं। इस दिन किए जाने वाले प्रदोष व्रत से सुख-समृद्धि और सौभाग्य का वरदान मिलता है।
शनिवार — इस दिन किये जाने वाले प्रदोष व्रत को शनि प्रदोषम् कहा जाता है। इस दिन इस पावन व्रत को पुत्र की कामना से किया जाता है।
रविवार — रविवार के दिन किया जाने वाला प्रदोष व्रत लंबी आयु और आरोग्य की कामना से किया जाता है।

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