ज्योतिष : शिव की पूजा शनि की पीड़ा से मुक्ति दिलाने वाली होती है और जब भगवान शिव की सबसे प्रिय तिथि प्रदोष (त्रयोदशी) शनिवार को आ जाए तो यह दिन और भी विशेष हो जाता है। इसके साथ यदि पवित्र श्रावण माह का संयोग बन जाए तो फिर सोने पे सुहागा जैसी स्थिति हो जाती है। इस बार 2020 के श्रावण माह के दोनों प्रदोष के दिन शनिवार का संयोग बन रहा है।
अनेक वर्षों में ऐसा संयोग आता है जब श्रावण माह, प्रदोष तिथि और शनिवार का संयोग बने और वह भी एक ही माह में दो बार। तो यदि आप भी किसी न किसी रूप में शनि की पीड़ा भोग रहे हैं। आपकी जन्मकुंडली में शनि खराब स्थिति में है।
कैसे करें पूजन
भोर के समय स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद अपनी किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए शनि प्रदोष व्रत का संकल्प लेकर भगवान शिव और उनके पूरे परिवार का पूजन करें। दिन भर निराहर रहें या फलाहार करें। शाम को प्रदोष काल में पूजा करें।
प्रदोषकाल सूर्यास्त से एक घंटा पहले से सूर्यास्त के एक घंटे बाद तक का समय होता है। इस प्रदोष काल में पुन: स्नान करें। इसके बाद सर्वप्रथम पूजा स्थल पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके आसन पर बैठें और भगवान शिव की प्रतिमा या तस्वीर को एक चौकी पर स्थापित करें।
इसके बाद भगवान शिव का पंचामृत और फिर गंगाजल से अभिषेक करें। उन्हें पुष्प, बेलपत्र, धतूरा, अक्षत, सफेद चंदन, गाय का दूध आदि अर्पित करें। इस दौरान ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। शिव चालीसा का पाठ करें और अंत में भगवान शिव की आरती करें। क्षमाप्रार्थना करें, प्रसाद वितरित करें।