टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक प्रज्ञानंद उन सात बौद्ध भिक्षुकों में से एक हैं जिन्होंने 14 अक्टूबर, 1954 को भीम राव अंबेडकर को बौद्ध धर्म ग्रहण करवाने की प्रक्रिया को संपन्न करवाया था। प्रज्ञानंद ने बताया कि ‘मैंने ही भादंत चंद्रमणि माहाथेरो की मदद की थी जिन्होंने अंबेडकर को बौद्ध धर्म ग्रहण करवाया था। प्रज्ञानंद ने बताया कि उस समय वहां पर भीम राव अंबेडकर की पत्नी सविता भी मौजूद थीं। उन्होंने बताया कि ऐसा माहौल हो गया था उस समय कि भीम राव आंबेडकर ने जैसे पूरी दुनिया से अपने संबंधों को तोड़ दिया हो।
प्रज्ञानंद लखनऊ के रिसालदार पार्क के निकट बुद्ध विहार में रहने वाले सबसे वरिष्ठ भिक्षु हैं। अपने जीवन में अंबेडकर खुद दो बार उनसे मिलने के लिए आए थे। उन्होंने बताया कि लखनऊ आने के बाद बौद्ध धर्म को लेकर उनका विश्वास और दृढ़ हुआ। प्रज्ञानंद कहते हैं कि मध्य प्रदेश उनकी जन्मभूमि थी, नागपुर उनकी दीक्षाभूमि थी। पर लखनऊ उनकी स्नेहभूमि थी जोकि उनको बौद्ध धर्म के और करीब लाई। बौद्ध धर्म ग्रहण करने से पहले भीम राव अंबेडकर वर्ष 1948 और वर्ष 1951 में लखनऊ आए थे। 18 अप्रैल, 1948 की बुद्ध विहार की उनकी एक फोटो भी विभिन्न धर्म के लोगों के साथ कई मुद्दों पर चर्चा करते हुए ली गई है।