इस शिवलिंग में है युधिष्ठर की मणि, छूने से हाथ हो जात है सुन्न
खजुराहो को सैकड़ों साल पुराने चंदेलकालीन मंदिरों के कारण विश्व विख्यात वर्ल्ड हेरिटेज यूनेस्को साईट के रूप में जाना जाता है. इतिहास में यहां 85 मंदिरों के मौजूद होने के प्रमाण है जिनमें से आज करीब 25 मंदिर ही दिखाई देते हैं.
कहा जाता है कि चन्देल कालीन राजाओं के इन मंदिरों में सिर्फ एक मतंगेश्वर मंदिर का निर्माण पूजा-पाठ के उद्देश्य से किया गया था, जहां आज भी धार्मिक रीति-रिवाज से पूजा-अर्चना की जाती है.
मंदिर के पुजारी ने बताया कि यह मंदिर चंदेल कालीन मंदिरों में सबसे ज्यादा पुराना है जिसका निर्माण पूजा-पाठ करने के उद्देश्य से बनाया गया था. यहां आज भी रीति-रिवाज से पूजा-पाठ होती आ रही है. खजुराहो के अन्य मंदिरों की तरह इस मंदिर का भी अपना अलग इतिहास और कथाएं प्रचलित हैं जिनमें से मर्कतेश्वर नाम होने का भी अपनी मिथक है और अपनी-अपनी भ्रांतियां हैं.
लेखों के अनुसार शिवलिंग में मरकत मणि होने का कारण राजा चंद्रदेव द्वारा राज्य की सुरक्षा के लिए दबाया होना बताया. वहीं, पौराणिकता को देखें तो युधिष्ठिर के पास इस मरकत मणि होने की बात कही जाती है जो एक मूर्ति में जड़ी थी. चंद्रदेव ने इस शिवलिंग में इस मणि को दबा दिया था जिसके कारण यह शिवलिंग ठंडा रहता है. शिवलिंग को गले लगाया जाता है. गले लगाते समय लोगों के हाथों में सुन्न का होने का अहसास शिवलिंग में मरकत मणि होने का प्रमाण माना जाता है.
बताया जाता है कि युधिष्ठिर के पास एक मूर्ति थी जिसमें मरकत मणि थी. युधिष्ठिर की मूर्ति को इस शिवलिंग में दबा दिया गया था जिसका अहसास शिवलिंग को स्पर्श करने पर होता है. शिवरात्रि के अवसर पर मतंगेश्वर महादेव मंदिर की महत्ता और भी अधिक बढ़ जाती है.