डोकलाम विवाद पर चीन की ओर से भारत का साथ छोड़ने पर सीमा विवाद निपटाने और समझौते के ऑफर को भूटान खारिज कर सकता है। इसकी वजह भारत-भूटान संबंधों से भी परे है। इसकी वजह यह है कि भूटान को डर है कि इस विवाद के बाद चीनी सेना राजधानी थिम्पू को जोड़ने वाले मुख्य मार्गों पर कब्जा जमा सकती है। भूटान के विश्लेषक ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया, ‘भूटान कभी भारत के साथ सीमा पर पीछे नहीं हटेगा। भूटान को डोकलाम पठार पर भारत की तरह ही रिस्क है।’
भूटानी एनालिस्ट ने कहा, ‘यदि चीनी सैनिक डोकलाम समेत विवादित इलाके पर दावा करते हैं तो वे हिमालय की ऊंची चोटियों पर काबिज होंगे। इसके चलते हमारी हा, पारो और थिम्पू घाटियां चीन के हथियारों की जद में आ जाएंगी।’ चीनी सैनिकों की और अधिक मूवमेंट थिम्पू से फुएंतशोलिंग शहर को जोड़ने वाले 165 किलोमीटर लंबे रास्ते को नुकसान पहुंचा सकती है।’ यह शहर भारत से खाद्यान्न और अन्य वस्तुओं के आयात के लिए गेटवे के तौर पर रहा है।
डोकलाम पठार पर स्थित पूर्वी भूटान के 495 स्क्वेयर किलोमीटर और पश्चिमी सेक्टर के 286 स्क्वेयर किलोमीटर के हिस्से पर चीन अपना दावा जता रहा है। चीन ने पूर्वी भूटान से अपने दावे को वापस लेने के एवज में भूटान से डोकलाम पठार को सौंपने की मांग की है। इससे चीन को इलाके में भारत के मुकाबले कमांडिंग पोजिशन हासिल हो जाएगी। भूटान की ओर से चीन की इस मांग को मानने की कोई संभावना नहीं है। इसकी वजह यह है कि डोकलाम पर चीनी सेना की मौजूदगी भूटान के अन्य हिस्सों में भी चीन के दखल का कारण बनेगी। इसके अलावा चीनी सेना राजधानी थिम्पू के लिए भी खतरा साबित हो सकती है।