इसे जिले के 436 गांवों में 3 सालों से दर्ज नहीं हुआ एक भी मुकदमा, जानें खासियत
कुछ साल पहले तक जैसलमेर को एक शांत इलाका माना जाता था. इसी वजह से यहां पर्यटन का ग्राफ बढ़ा और देसी-विदेशी सैलानी बिना टेंशन के यहां भ्रमण करते थे, लेकिन पिछले कुछ समय से यहां अपराध की घटनाएं बढ़ी हैं. जबकि, आंकड़ों की हकीकत तो यह है कि जैसलमेर आज भी शांति प्रिय क्षेत्र है और यहां 436 गांवों में जीरो क्राइम रेट है.
क्राइम फ्री गांवों में जैसलमेर पूरे प्रदेश में अव्वल है. कुल गांवों की संख्या के अनुसार यदि प्रतिशत निकाला जाए तो जैसलमेर के नजदीक शायद ही कोई जिला हो. जिले के कुल 840 गांवों में से 436 गांव क्राइम फ्री हैं. यहां करीब 3 लाख की आबादी निवास करती है और पिछले तीन साल में एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ है. ये इलाके शाहगढ़, सम खुहड़ी क्षेत्र के हैं.
जैसलमेर पुलिस अधीक्षक डॉक्टर राजीव पचार कहते हैं कि यह जैसलमेर के लिए गर्व की बात है कि 840 गांवों में 436 गांव क्राइम फ्री है. सरकार इन गांवों को स्पेशल पैकेज देगी. हम प्रयास कर रहे हैं कि इन गांवों से अन्य गांवों को भी प्रेरित किया जाए ताकि आने वाले समय में ऐसे गांवों की संख्या में बढ़ोतरी हो. यहां जीरो क्राइम रेट होने की वजह सामाजिक स्तर पर मामलों का निस्तारण होना और छितरी हुई आबादी होना है.
जैसलमेर पुलिस के लिए यह आंकड़ा सुकून देने वाला है. इन गांवों में पुलिस का काम नहीं के बराबर रहा, जिससे अन्य जगहों पर पुलिस अधिक ध्यान दे पाई. अब जिला पुलिस ने इन गांवों को अन्य गांवों के लिए प्रेरणा बनाने की ठान ली है और आगामी समय में ऐसे गांवों की संख्या में बढ़ोतरी की जाएगी. जिले के क्राइम फ्री गांवों को स्पेशल पैकेज देने के लिए राज्य सरकार ने मन बना लिया है. पिछले दिनों एसपी-कलेक्टर कांफ्रेंस में यह बात उठी थी और सरकार ने इन गांवों को सम्मानित करने फैसला लिया था.
जानकारी के अनुसार क्राइम फ्री गांवों में अपराध दर्ज नहीं होने की सबसे बड़ी वजह है कि इन गांवों में आज भी लोग परंपरागत रूप से रहते हैं और एक ही समाज के होने के चलते यहां किसी भी तरह का विवाद होने पर मिल बैठकर समझाइश से मामले निस्तारित कर दिए जाते हैं.