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उंची वृद्धि को लेकर ज्यादा उछलने की जरूरत नहीं: RBI गवर्नर राजन

110008-rajan700पुणे: भारत की आर्थिक वृद्धि दुनिया में सबसे तेज होने को लेकर ‘बहुत उछलने’ के प्रति आगाह करते हुए रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने आज कहा कि देश अब भी दुनिया के सबसे गरीब देशों में गिना जाता है और इसे अभी लंबा रास्ता तय करना है।

 

राजन ने साथ ही भारत की वर्तमान स्थिति के बारे में अपनी ‘अंधों में काना राजा’ वाली विवादास्पद टिप्पणी को एक संदर्भ देने का प्रयास किया। राजन ने कहा, ‘हम आज भी हम प्रति व्यक्ति आय की दृष्टि से दुनिया के सबसे गरीब देशों में आते हैं और हमें अपने सभी नागरिकों की समस्याओं के समुचित समाधान अभी लंबा रास्ता तय करना है। गवर्नर ने कहा कि यदि देश के प्रत्येक नागरिक को बेहतर जीवन देना है तो मौजूदा वृद्धि दर को अगले 20 साल तक बरकरार रखना होगा।

राष्ट्रीय बैंक प्रबंधन संस्थान (एनआईबीएम) के दीक्षांत समारोह में राजन ने कहा कि एक औसत चीनी नागरिक एक औसत भारतीय से चार गुना से भी अधिक अमीर है। खरी-खरी बोलने वाले रिजर्व बैंक गवर्नर ने यह बात दोनों देशों के बीच तुलना करते हुए कही।

राजन ने कहा कि 1960 के दशक में चीन की अर्थव्यवस्था भारत से छोटी थी, लेकिन आज यह भारत से पांच गुना बड़ी है। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स देशों में हमारा प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद सबसे कम है। अमेरिका में राजन के हालिया बयान की कई केंद्रीय मंत्रियों ने आलोचना की थी। राजन ने अमेरिका में हाल में कहा था कि भारत को ‘संकटपूर्ण विश्व अर्थव्यवस्था के बीच आशा की किरण’ बताना ऐसे ही है जैसे ‘अंधों के देश में एक काना व्यक्ति राजा होता है।’

राजन ने कहा कि उनकी इस टिप्पणी को गलत ढंग से लिया गया और इसमें शब्दों के आशय की जगह शब्दों को पकड़ लिया गया। उन्होंने कहा, ‘केंद्रीय बैंकर को व्यावहारिक होना होता है, और मैं इस उन्माद का शिकार नहीं हो सकता कि भारत सबसे तेजी से वृद्धि दर्ज करने वाली विशाल अर्थव्यवस्था है।’

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राजन की टिप्पणी के संदर्भ में कहा था कि विश्व के शेष हिस्से के मुकाबले भारतीय अर्थव्यवस्था ज्यादा तेजी और दरअसल सबसे अधिक तेजी से वृद्धि दर्ज कर रही है। वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी राजन की टिप्पणी को हल्के में नहीं लिया और कहा कि इसके स्थान पर बेहतर शब्दों का उपयोग किया जा सकता था।

राजन ने कहा, ‘हम अपनी मौजूदा वृद्धि की श्रेष्ठता को लेकर हमें ज्यादा इतराना नहीं चाहिए, क्यों कि जहां हम अपनी वर्तमान श्रेष्ठता को लेकर आत्मतुष्ट होते हैं, हम अपनी भविष्य की सम्पत्ति को ऐसे उड़ाना शुरू कर देंगे मानो वह सम्पत्ति हमारे पास पहले से पड़ी है, हम वृद्धि को आगे जारी रखने का प्रयास बंद कर देते हैं। यह चल चित्र हमारे अतीत में कई बार चल चुका है और हम जानते हैं कि इसका अंत क्या होता है।’ 

इस धारणा को बदलने की जरूरत पर जोर देते हुए राजन ने कहा कि दीर्घावधि में उंची वृद्धि दर सिर्फ ‘क्रियान्वयन, क्रियान्वयन और क्रियान्वयन’ से ही हासिल की जा सकती है। राजन ने हालांकि आनी टिप्पणी के लिए नेत्रहीनों से माफी मांगी जिन्होंने राजन की इस मुहावरे के उपयोग के लिए आलोचना की।

राजन ने कहा, ‘मैं उस वर्ग से माफी जरूर मांगना चाहता है जिसे मैंने अपने शब्दों से तकलीफ पहुंचाई और वह हैं नेत्रहीन।’ इससे पहले अहमदाबाद के नेत्रहीन लोगांे के संघ ने राजन को पत्र लिखकर उनकी इस टिप्पणी का विरोध किया था और इस तरह की असंवेदनशील भाषा के इस्तेमाल के लिए उनसे माफी मांगने को कहा था।

राजन ने कहा, ‘हमें अपने मुकाम पर पहुंचने का दावा करने से पहले लंबा सफर तय करना है। हम हर भारतीय को मर्यादित आजीविका दे सकें, इसके लिए लगातार आर्थिक वृद्धि के इस प्रदर्शन को 20 साल तक बरकरार रखने की जरूरत है।’

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