उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सुधीर अग्रवाल ने रचा इतिहास, 1 साल में सुने 1 लाख 12 हजार मुकदमे
प्रयागराज : उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने एक लाख 12 हजार मुकदमों का निपटारा कर नया इतिहास कायम किया है। अपने 13 साल के अभी तक के कार्यकाल में उन्होंने 1 लाख 12 हजार मुकदमों पर फैसला सुनाया है । जस्टिस सुधीर अग्रवाल का नाम पहली बार तब चर्चा में आया था जब इन्होंने अयोध्या में राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद पर फैसला दिया था। बता दें कि अक्टूबर 2018 में जारी किए गए आंकड़े के अनुसार, यूपी में लंबित मुकदमों की संख्या 9 लाख 21 हजार 771 है। जस्टिस सुधीर अग्रवाल का जन्म 24 अप्रैल 1958 को उत्तर प्रदेश के शिकोहाबाद में हुआ। इनकी शुरुआती शिक्षा वहीं पर हुई। इन्होंने विज्ञान से स्नातक की पढ़ाई आगरा यूनिवर्सिटी में की और 1977 में यह ग्रेजुएट बने। इसके बाद उन्होंने मेरठ यूनिवर्सिटी से लॉ किया और 1980 में कानून की डिग्री हासिल करने के बाद यह बतौर अधिवक्ता के रूप में 5 अक्टूबर 1980 को एनरोल्ड हुए। जस्टिस अग्रवाल इलाहाबाद हाईकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की और टैक्स, सिविल और इलेक्ट्रिसिटी मामलों की वकालत करने लगे। बेहद प्रतिभावान सुधीर अग्रवाल जल्द ही इलाहाबाद के अच्छे वकीलों में गिने जाने लगे। जल्द ही वह यूपी पावर कारर्पोरेशन, राजकीय निर्माण निगम, इलाहाबाद विश्वविद्यालय और फिर हाईकोर्ट में सरकारी वकील बने। 9 सितंबर 2003 को उत्तर प्रदेश सरकार ने इन्हें अपर महाधिवक्ता नियुक्त किया। 10 अप्रैल 2004 को यह सीनियर एडवोकेट नामित किए गए। वरिष्ठ अधिवक्ता बनने के बाद 5 अक्टूबर 2005 को इन्हें एडिशनल जज के रूप में नियुक्त किया गया और 10 अगस्त 2007 को इन्हे परमानेंट जज के रूप में शपथ दिलाई गई। इनका कार्यकाल 23 अप्रैल 2020 तक का है। मौजूदा समय में जस्टिस सुधीर अग्रवाल प्रयागराज (इलाहाबाद) में ही रहते हैं। और जस्टिस विक्रम नाथ के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट के दूसरे सबसे वरिष्ठ अधिवक्ता है । जस्टिस सुधीर अग्रवाल का सबसे बड़ा और चर्चित फैसला अयोध्या में रामजन्म भूमि बाबरी मस्जिद को लेकर आया था। ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य का विवाद सुलझाना, डहिया ट्रस्ट द्वारा सैकड़ों एकड़ जमीन पर अवैध कब्जे का मामला, सिलिका सैंड का 45 गांवों में रानी शंकरगढ़ का पट्टा समाप्त करना, प्रदर्शन के दौरान सरकारी व निजी सम्पत्ति को नुकसान की भरपाई के लिए हर जिले में नोडल अधिकारियों की तैनाती, अफसरों व नेताओं के बच्चे भी सरकारी स्कूलों में पढ़ने का फैसला, विद्युत आपूर्ति को जीवन का अधिकार करार देना, सरकारी सेवकों को सरकारी अस्पताल में इलाज कराने पर ही प्रतिपूर्ति देना, विभागों में जातिगत प्रतिनिधित्व के आधार पर आरक्षण जारी रखना, कानून के विपरीत अधिसूचना से फंडामेंटल रूल्स 56में संशोधन कर सरकारी सेवकों की सेवानिवृत्ति आयु 58 से बढ़ा कर 60 वर्ष करने के फैसले की विधि विरुद्ध करार देना जैसे कई बडे फैसले उनकी उपलब्धियों में शामिल है। फिलहाल उपलब्धि के सफर में जब न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल सेवानिवृत्त होंगे तब तक वह अपने कार्यकाल में सर्वाधिक मुकदमे तय करने वाले न्यायमूर्ति बन जाएंगे।