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उच्चतम न्यायालय ने अपना आदेश वापस लेने से इनकार किया
उच्चतम न्यायालय ने वित्त मंत्री अरुण जेटली के खिलाफ जनहित याचिका दायर करने वाले एक अधिवक्ता पर 50,000 रुपए का जुर्माना लगाने का अपना आदेश वापस लेने से मंगलवार को इनकार कर दिया। उक्त याचिका में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूंजी भंडार संबंधी आरोप लगाए गए थे।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति केएम जोसफ की पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता अधिवक्ता एमएल शर्मा की सुनवाई तभी होगी जब वह शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री में जुर्माने की रकम 50,000 रुपए जमा करवा देंगे। पीठ ने कहा, “हम अपना कोई आदेश वापस नहीं लेंगे। आप पहले 50,000 रुपए जमा करवाइए, उसी के बाद हम आपकी कोई भी पुरानी या नई याचिका पर सुनवाई करेंगे।”
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति केएम जोसफ की पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता अधिवक्ता एमएल शर्मा की सुनवाई तभी होगी जब वह शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री में जुर्माने की रकम 50,000 रुपए जमा करवा देंगे। पीठ ने कहा, “हम अपना कोई आदेश वापस नहीं लेंगे। आप पहले 50,000 रुपए जमा करवाइए, उसी के बाद हम आपकी कोई भी पुरानी या नई याचिका पर सुनवाई करेंगे।”
अधिवक्ता ने निजी रूप से उक्त जनहित याचिका दायर की थी। उन्होंने उस पर तत्काल सुनवाई करने की मांग की थी और आरोप लगाया था कि आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल ने इस्तीफा दे दिया है जिसके चलते आरबीआई में व्यवस्था गड़बड़ा गई है। शीर्ष अदालत ने उनकी याचिका स्वीकार नहीं की।