उत्तर प्रदेश के बिजनौर में तीन तलाक मामले में पहली एफआईआर दर्ज
बिजनौर : जिले के बिजनौर में मंगलवार को पहला मामला दर्ज हुआ। मामला, पीड़िता की मां की तरफ से दर्ज कराया गया है। इस मामले में खास बात यह है कि पहले तीन तलाक और फिर निकाह की यह पूरी घटना बिजनौर की देहात कोतवाली पुलिस की मौजूदगी में ही हुई और पुलिस खड़ी देखती रही।
आरोपी पुलिस वालों के खिलाफ जांच कराई जा रही है। इसमें एक एसआई की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है। जानकारी के मुताबिक बिजनौर के हलदौर के पावटी गांव की सल्तनत का निकाह बरुकी निवासी गुलफाम के साथ 15 जुलाई 2018 को हुआ था। सल्तनत की मां शहनाज के अनुसार 23 सितंबर को नाटकीय घटनाक्रम के तहत पंचायत के दौरान दामाद गुलफाम ने अपनी प्रेमिका के पिता नजाकत के दबाव में आकर सल्तनत को फोन पर ही तलाक दे दिया। इसके बाद तत्काल ही अपनी प्रेमिका से निकाह भी कर लिया। इस मामले में बरुकी के ही हाजी इकबाल, शराफत, चांद शाह, अनीस अहमद ने भी गुलफाम का साथ दिया। डीआईजी कानून एवं व्यवस्था प्रवीण कुमार ने बताया कि पीड़िता की मां की तहरीर पर 6 लोगों के खिलाफ तीन तलाक के मामले में मुस्लिम महिला (प्रोटेक्शन आफ मैरिज ऑर्डिनेंस, 2018) के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। जानकारी के मुताबिक 23 सितंबर को यह पूरा घटनाक्रम कोतवाली देहात पुलिस की मौजूदगी में ही हुआ। पुलिस वालों ने पहले तीन तलाक कराने और फिर गुलफाम का निकाह उसकी प्रेमिका से कराने में पूरा साथ दिया। बताया जा रहा है कि गुलफाम का गांव की एक युवती से अफेयर था, लेकिन उसके घरवालों ने उसकी मर्जी के बगैर उसकी शादी सल्तनत से करा दी। शादी न होने से नाराज गुलफाम की प्रेमिका उसके घर पहुंच गई थी। घर में प्रेमिका ने शादी को लेकर जमकर हंगामा किया, जिसके बाद मामला थाने तक पहुंच गया। प्रेमिका खुदकुशी की धमकी दे रही थी। हंगामा बढ़ते देख प्रेमिका के पिता के दबाव में गुलफाम ने फोन पर ही पत्नी को तलाक दे दिया और थाने में ही शादी कर ली। एसपी बिजनौर उमेश कुमार सिंह का कहना है कि पूरे मामले में पुलिसकर्मियों की भूमिका की जांच कराई जा रही है। अगर आरोपों में सत्यता पाई गई तो दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी। लखनऊ के हजरतगंज स्थित महिला थाना में घरेलू हिंसा और दहेज उत्पीड़न की धाराओं में दर्ज मामले को भी तीन तलाक अध्यादेश के तहत दर्ज किया जाएगा। जानकारी के मुताबिक सआदतगंज निवासी मीरा ने बीते शनिवार को पति मोहर्रम अली के खिलाफ घरेलू हिंसा करने, मारपीट के चलते गर्भपात होने और तीन तलाक देने की शिकायत की थी। हालांकि महिला थाना पुलिस ने मुस्लिम महिला (प्रोटेक्शन आफ मैरिज आर्डिनेंस, 2018) के बजाय आईपीसी की धाराओं के तहत केस दर्ज कर लिया। जब यह मामला अधिकारियों की जानकारी में आया तो उन्होंने केस को अध्यादेश के मुताबिक संबंधित धाराओं के तहत करने के निर्देश दिए हैं। डीआईजी कानून एवं व्यवस्था प्रवीण कुमार का कहना है कि मामले की जानकारी आने के बाद लखनऊ पुलिस को निर्देश दिए गए हैं कि मुस्लिम महिला (प्रोटेक्शन आफ मैरिज आर्डिनेंस, 2018) के तहत मामला दर्ज किया जाए।