लखनऊ : भाजपा की योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश विधानसभा में मंगलवार को संगठित अपराध पर अंकुश लगाने के कड़े प्रावधान वाला ‘यूपीकोका विधेयक’ पारित कर दिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से पेश इस विधेयक को सदन ने ध्वनिमत से पारित किया। पूर्व में भी विधानसभा ने यह विधेयक पारित किया था, लेकिन विधान परिषद में यह पारित नहीं हो सका था। यूपीकोका को काला कानून बताते हुए विपक्ष ने हालांकि सदन से वाक आउट किया।
सीएम योगी ने उत्तर प्रदेश संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक (यूपीकोका) 2017 पेश करते हुए कहा, संगठित अपराध एक जिले या एक राज्य का नहीं बल्कि राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय विषय बन गया है। अपराध नियंत्रण के लिए जो प्रयास हमारी सरकार ने किए, उसके बहुत अच्छे परिणाम सामने आये हैं। इन सबके बावजूद महसूस किया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में अपराध पर पूर्ण नियंत्रण के लिए कठोर कानून की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि अपराध की प्रकृति और दायरा बढ़ने के साथ प्रदेश में संगठित अपराध पर प्रभावी नियंत्रण के लिए कानून की आवश्यकता बहुत दिन से महसूस की जा रही है। सरकार प्रदेश की जनता की सुरक्षा के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य करे, उसी प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए हम ये विधेयक लाए हैं। प्रदेश में पिछले एक वर्ष में एक माहौल देने का कार्य हुआ है, जो प्रयास हमारी सरकार ने किए, उसके बहुत अच्छे परिणाम सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि यूपीकोका का दुरूपयोग कोई नहीं कर सकता। नेता प्रतिपक्ष राम गोविन्द चौधरी ने कहा कि हर सरकार चाहती है कि उसके राज में कानून व्यवस्था ठीक हो। जनता भी यही चाहती है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के भाषण से मालूम हो रहा है कि अपराध घटे हैं। जब कानून-व्यवस्था बेहतर हो गयी है तब इस कानून को लाने की जरूरत क्या है। यह लोकतंत्र एवं संविधान विरोधी कानून है। चौधरी ने कहा कि भाजपा सरकार के समय अपराध बढ़े हैं। यूपीकोका पुलिस की जेब भरने वाला कानून है। बसपा नेता लालजी वर्मा और कांग्रेस के अजय कुमार लल्लू ने भी विधेयक का विरोध किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश बड़ा राज्य है। विभिन्न प्रदेशों से हमारी सीमाएं मिलती हैं, नेपाल से हमारी सीमाएं मिलती हैं। ये सभी सीमाएं खुली हैं, आज ऐसे कानून की आवश्यकता है जो संगठित अपराध में लिप्त तत्वों पर कठोरता करे और आम जनमानस को बिना भेदभाव के सुरक्षा की गारंटी दे सके।