उत्तराखंड उच्च शिक्षा परिषद की ओर से की गई संस्तुति में कहा गया कि अधिकांश राजकीय महाविद्यालयों में शिक्षण कक्ष, प्रयोगशाला, पुस्तकालय, फर्नीचर, आधुनिक उपकरण, पेयजल और शौचालय आदि की स्थिति संतोषजनक नहीं है।
सरकारी उच्च शिक्षण संस्थानों में स्नातक और परास्नातक की फीस दो-तीन हजार रुपये वार्षिक है जबकि साधारण श्रेणी के निजी स्कूल प्राइमरी कक्षा की फीस ही दो-तीन हजार रुपये मासिक ले रहे हैं।
उत्तराखंड में उच्च शिक्षा का सपना पूरा करना मंहगा होने वाला है। प्रदेश के सरकारी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में जल्द ही फीस बढ़ोतरी की उम्मीद है। विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में संसाधनों की कमी का हवाला देते हुए उत्तराखंड उच्च शिक्षा परिषद ने फीस बढ़ाने की संस्तुति की है। जिस पर उच्च शिक्षा मंत्री ने प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए हैं। माना जा रहा है कि अगले सत्र से स्नातक और परास्नातक के विद्यार्थियों की फीस में इजाफा हो जाएगा।
उत्तराखंड उच्च शिक्षा परिषद की ओर से की गई संस्तुति में कहा गया कि अधिकांश राजकीय महाविद्यालयों में शिक्षण कक्ष, प्रयोगशाला, पुस्तकालय, फर्नीचर, आधुनिक उपकरण, पेयजल और शौचालय आदि की स्थिति संतोषजनक नहीं है।
सरकारी उच्च शिक्षण संस्थानों में स्नातक और परास्नातक की फीस दो-तीन हजार रुपये वार्षिक है जबकि साधारण श्रेणी के निजी स्कूल प्राइमरी कक्षा की फीस ही दो-तीन हजार रुपये मासिक ले रहे हैं।
उत्तराखंड उच्च शिक्षा परिषद की ओर से की गई संस्तुति में कहा गया कि अधिकांश राजकीय महाविद्यालयों में शिक्षण कक्ष, प्रयोगशाला, पुस्तकालय, फर्नीचर, आधुनिक उपकरण, पेयजल और शौचालय आदि की स्थिति संतोषजनक नहीं है।
सरकारी उच्च शिक्षण संस्थानों में स्नातक और परास्नातक की फीस दो-तीन हजार रुपये वार्षिक है जबकि साधारण श्रेणी के निजी स्कूल प्राइमरी कक्षा की फीस ही दो-तीन हजार रुपये मासिक ले रहे हैं।