पारे की उछाल के साथ ही उत्तराखंड में पेयजल महकमे की चिंता भी बढ़ने लगी है। यह बेजा भी नहीं है। तमाम कोशिशों के बावजूद सालभर में केवल 374 बस्तियों का ही पेयजल संकट जैसे-तैसे दूर हो पाया। अभी भी आंशिक रूप से सेवित 17032 बस्तियों में हलक तर करने को पानी मुहैया कराने की चुनौती सामने खड़ी है। चिंता ये भी साल रही कि यदि मौसम ने साथ नहीं दिया तो दिक्कत अधिक बढ़ सकती है
प्रदेश में उत्तराखंड जल संस्थान 39360 बस्तियों में पेयजल मुहैया कराता है। इनमें से 22312 में जलापूर्ति ठीक है, लेकिन 17406 में आंशिक रूप से ही पेयजल आपूर्ति हो रही थी। सालभर के प्रयासों के बाद बाद आंशिक रूप से सेवित 374 बस्तियों का ही पेयजल संकट दूर हो पाया। शेष 17032 की स्थिति आज भी वैसी ही है, जैसी पिछले साल थी। ये वे बस्तियां हैं, जहां गर्मियों में लोगों को अक्सर पेयजल किल्लत से दो-चार होना पड़ता है।
इस मर्तबा मौसम का जैसा रुख है, उसे देखते हुए इन 17 हजार से अधिक बस्तियों में पेयजल संकट गहराना तय माना जा रहा है।
पेयजल मंत्री प्रकाश पंत का कहना है कि पेयजल की दिक्कत है, लेकिन इसके निदान को प्रयास किए जा रहे हैं। कोशिश ये है कि बाह्य सहायतित योजनाओं के जरिये पेयजल संकट दूर किया जाए। इस मर्तबा वर्षा जल संरक्षण पर फोकस किया जाएगा, ताकि जलस्रोत रीचार्ज होने के साथ ही ये लंबे समय तक जीवित रह सकें। इसमें आमजन का सहयोग भी इसमें जरूरी है।
प्रदेश में आंशिक सेवित बस्तियां
अल्मोड़ा———–1805————–60
बागेश्वर————476————–23
चमेाली————-1562————-36
चंपावत————–609————-18
देहरादून————1632————-30
पौड़ी—————–3170————-62
हरिद्वार————-300————–05
नैनीताल————-372————–10
पिथौरागढ़————1185————21
रुद्रप्रयाग————-787————–22
टिहरी—————4451————–63
ऊधमसिंहनगर———44————–04
उत्तरकाशी————-708————20
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